गालीबाज शुक्ला : बीजेपी के पतन की असली वजह

प्रेम शुक्ला का बचाव नहीं, असली अपराधी की पहचान
कार्टून शैली में एक टीवी स्क्रीन पर बीजेपी प्रवक्ता प्रेम शुक्ला लाल चेहरे के साथ मुंह से कीचड़ उगलते हुए, कांग्रेस प्रवक्ताओं पर प्रतीकात्मक हमला करते हुए (@ # % & 🤬🤬), जबकि टीवी के सामने गुस्साई भीड़ देख रही है।
बीजेपी प्रवक्ताओं द्वारा टीवी पर माँ बहन की गालियाँ देना : क्या यही है नई राजनीति का चेहरा?

मैं यहाँ प्रेम शुक्ला जैसे गालीबाज प्रवक्ता का बचाव करने नहीं आया हूँ। मेरा मकसद उस असली अपराधी को उजागर करना है, जिसके चलते आज बीजेपी का इकोसिस्टम पूरी दुनिया में शर्मिंदगी झेल रहा है। यह अपराधी कोई और नहीं, बल्कि 2013 के बाद बीजेपी के संगठन में आया बकलोल, नॉन-सीरियस, और उत्पाती कल्चर है। इसने न सिर्फ पार्टी की गरिमा को ठेस पहुंचाई, बल्कि पूरे देश के राजनीतिक विमर्श को नीचे गिरा दिया।

2013 से पहले का सुनहरा दौर

2013 से पहले की बीजेपी की डिबेट्स और प्रेस कॉन्फ्रेंस को देखें। उस वक्त सुषमा स्वराज, रविशंकर प्रसाद, अरुण जेटली, और शाहनवाज हुसैन जैसे प्रवक्ता प्राइम टाइम न्यूज़ शोज़ में तर्क और तथ्यों के साथ बहस करते थे। कई बार तो इन बहसों का स्तर संसद से भी ऊँचा होता था। आप उनसे असहमत हो सकते थे, लेकिन उनकी बातों में एक गहराई और गरिमा थी, जो सम्मान की हकदार थी। उस समय बीजेपी का विमर्श विचारों और नीतियों पर केंद्रित था, न कि व्यक्तिगत हमलों या सस्ती ठिठोली पर।

2013: जब सब कुछ बदल गया

2013 के मध्य में, विधानसभा चुनावों से ठीक पहले, बीजेपी ने नरेंद्र मोदी को प्रधानमंत्री पद का उम्मीदवार घोषित किया। इसके बाद अमित शाह को उत्तर प्रदेश में संगठन का प्रभार सौंपा गया। यहीं से बीजेपी के पतन की शुरुआत हुई। संगठन में संबित पात्रा, प्रेम शुक्ला, नूपुर शर्मा, गौरव भाटिया, और नवीन कुमार जिंदल जैसे लंपट और बकरबाज प्रवक्ताओं की भर्ती हुई।

कार्टून शैली में टीवी स्क्रीन पर बीजेपी प्रवक्ता प्रेम शुक्ला लाल चेहरे के साथ मुंह से कीचड़ उगलते हुए, कांग्रेस प्रवक्ताओं पर प्रतीकात्मक हमला करते हुए (@ # % & 🤬🤬), गोदी मीडिया की पृष्ठभूमि में, जबकि टीवी के सामने गुस्साई भीड़ देख रही है।
गोदी मीडिया और बीजेपी प्रवक्ता: विमर्श को गाली-गलौज में बदलने का खेल

साथ ही, गोदी मीडिया में अर्णव गोस्वामी, अमीश देवगन, रुबिका लियाकत, और अमन चोपड़ा जैसे नॉन-सीरियस एंकर्स को बढ़ावा दिया गया। यह सब एक सोची-समझी रणनीति का हिस्सा था, जिसने बीजेपी के विमर्श को गंभीर चर्चा से गली-चौराहों की ठिठोली में बदल दिया।

टैब्लॉइड स्ट्रेटजी का जाल

मैं इसे "टैब्लॉइड स्ट्रेटजी" कहता हूँ। यह वही रणनीति है, जो लंदन के शाम के अखबारों में गंभीर मुद्दों की हवा निकालने के लिए इस्तेमाल होती है। बीजेपी ने भी यही किया—आईटी सेल और गोदी मीडिया के डेडली कॉम्बिनेशन ने विपक्ष के हर तर्क और तथ्य को जुमलों और झूठ से दबाने की कोशिश की। हर तर्क को जुमले से हराना, हर तथ्य की इतिहास से तुलना कर देना, और हारते दिखने पर गंभीर चर्चा को गाली-गलौज और ठिठोली में बदल देना—यह सब उनकी रणनीति का हिस्सा था। लोग असली मुद्दों को भूलकर हंसी-मजाक में लग जाते थे, और बीजेपी का मकसद पूरा हो जाता था।

वैश्विक दक्षिणपंथी रणनीति का हिस्सा

दुनिया की तमाम कट्टरपंथी दक्षिणपंथी पार्टियाँ यही रणनीति अपनाती हैं। वे धर्म से लेकर हर विषय को इतने निचले स्तर पर ले जाती हैं कि पूरे समाज का स्तर ही नीचे गिर जाता है। डोनाल्ड ट्रंप, रेसेप तईप एर्डोगन, और व्लादिमीर पुतिन ने अपने-अपने देशों में यही किया। उन्होंने अपने संगठनों और मीडिया में ऐसे ही लंपट लोगों को नियुक्त किया, जो गंभीर विमर्श को हंसी-मजाक में बदल दें। बीजेपी ने भी इस रणनीति को अपनाया, और इसके नतीजे आज हमारे सामने हैं।

सांप पालने की कीमत

हिलेरी क्लिंटन ने एक बार कहा था, 

"अगर आप अपने आँगन में पड़ोसी के लिए साँप पालते हैं, तो इसकी कोई गारंटी नहीं कि वो आपको नहीं डसेंगे।"
आज बीजेपी के इन जहरीले प्रवक्ताओं ने अपनी पार्टी के साथ-साथ पूरे देश को डस लिया है। लेकिन इसके जिम्मेदार ये प्रवक्ता अकेले नहीं हैं। असली जिम्मेदार वो सपेरे हैं, जिनके इशारों पर ये दिन-रात नाचते हैं और देश में जहर फैलाते हैं। यह जहर अब बीजेपी की साख को ही खा रहा है, और पार्टी को वैश्विक मंच पर शर्मिंदगी झेलनी पड़ रही है।

एक निजी नोट: शर्मिंदगी और बेचैनी

रात के 1 बजे यह पोस्ट लिख रहा हूँ, क्योंकि आज अपनी माँ और भारत माँ—दोनों को शर्मिंदा देख रहा हूँ। इस शर्मिंदगी ने मेरी नींद उड़ा दी है। अगर आप भी इस बेचैनी को महसूस कर रहे हैं, और नींद नहीं आ रही, तो इस पोस्ट को शेयर करना न भूलें। यह हमारी जिम्मेदारी है कि हम इस गिरते स्तर के खिलाफ आवाज उठाएं। #घोरकलजुग #डाटावाणी

— अपूर्व भरद्वाज

नोट : यह लेख अपूर्व भरद्वाज के लेख का संशोधित संस्करण है. मूल लेख यहाँ पढ़ें 

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