राफेल घोटाला: क्या छुपा रही है सरकार?

राफेल सौदा: सच या धोखा?

सौदे की हकीकत: 126 से 36 विमान

मा. मोदी ने राफेल विमान तीन गुना कीमत में नहीं खरीदे, बल्कि जिस कीमत में 126 राफेल विमानों का सौदा हुआ था, उस कीमत में केवल 36 विमान खरीदे गए। बाकी 90 विमानों का पैसा कहां गया? सीधे शब्दों में कहें तो 90 विमानों का पैसा मा. मोदी ने हजम कर लिया। लेकिन मीडिया के जरिए यह प्रचार किया गया कि मनमोहन सिंह के समय का सौदा रद्द कर उसी कीमत में 36 अत्याधुनिक, उन्नत तकनीक से लैस विमान खरीदे गए। हकीकत में ऐसा नहीं था।

राफेल कंपनी की बेईमानी

राफेल कंपनी ने भी इस सौदे में बेईमानी की। कंपनी के मालिक ने 90 विमानों का पैसा नए सत्ताधारी को सौंपकर सिर्फ 36 विमान दिए। भारत के साथ यह धोखा नई सरकार के सहयोग से हुआ। फ्रांस में भी राफेल कंपनी के मालिक की बेईमानी के खिलाफ आवाजें उठीं। जब फ्रांस सरकार ने इस सौदे की जांच की घोषणा की, तो तुरंत बाद राफेल कंपनी के मालिक की हेलीकॉप्टर दुर्घटना में मौत हो गई—जिसे हत्या कहा जाता है। लेकिन राफेल सौदे के दस्तावेजी सबूत मौजूद हैं, इसलिए जांच पर असर नहीं पड़ेगा। इसकी जांच होनी ही चाहिए।

राफेल कंपनी पर कार्रवाई क्यों नहीं?

ऐसी बेईमानी करने वाली कंपनी को वैश्विक स्तर पर ब्लैक लिस्ट करना चाहिए था, लेकिन ऐसा नहीं हुआ। राफेल कंपनी ने सौदे के वक्त ही साफ कर दिया था कि वह विमानों पर दूसरी कंपनियों के हथियार लगाने के लिए जरूरी ‘सोर्स कोड’ नहीं देगी। अब मोदी सरकार युद्ध के वक्त यह बात बता रही है, जैसे कि राफेल कंपनी ने अभी सोर्स कोड देने से इनकार किया हो। यह देश के साथ धोखा है। इस मामले में अदालत को स्वतः संज्ञान लेकर सीधा फैसला सुनाना चाहिए।

भावनात्मक मुद्दों का खेल

देश के 90% नागरिक चौबीसों घंटे भावनात्मक मुद्दों में व्यस्त रहते हैं। जब कोई आतंकी हमला होता है, तो 99% लोग भावनात्मक होकर संगठित देशप्रेम की भाषा बोलने लगते हैं। देशद्रोही कहलाने के डर से कोई हकीकत बताना नहीं चाहता। अप्रिय घटनाओं के बाद शहीदों के खून की सुगंध सुंघाकर लोकप्रियता हासिल करने का फॉर्मूला दुर्भाग्यपूर्ण है। ऐसी घटनाओं के बाद देशप्रेमी बने लोग जांच की मांग को भी देशद्रोह समझते हैं। ऐसे में देश के खिलाफ साजिश करने वालों को फांसी तक पहुंचाना नामुमकिन हो जाता है।

सच्चाई सामने लाने की जरूरत

संबंधित लोगों का सार्वजनिक तौर पर लाइव नार्को टेस्ट करवाकर इन बातों की सच्चाई सामने लाई जा सकती है। राफेल सौदे में धोखाधड़ी के सबूत मौजूद हैं। जांच की मांग जायज है, और इसे दबाना देश के हित में नहीं है।

Author- Usrar Belous

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