ऑपरेशन सिंदूर और सरकारी योजना का दावा
नेहा सिंह राठौड़ ने हाल ही में एक पोस्ट के जरिए दावा किया है कि ऑपरेशन सिंदूर में बहादुरी दिखाने के बाद नरेंद्र मोदी की सरकार ने तय किया है कि अब वो घर-घर सिंदूर पहुंचाएगी। उनका कहना है कि यह एकदम पक्की खबर है। नेहा के अनुसार, अगर पाकिस्तान के सामने इस सरकार की वीरता और ज्यादा जगजाहिर होने का मौका मिलता और सीजफायर न करना पड़ता, तो यह सरकार घर-घर जाकर सिंदूर के साथ-साथ बिंदी, बिछुआ, महावर, नेलपॉलिश, जूड़ा, और कंघी भी बांटती। इतना ही नहीं, तीज-खिचड़ी जैसे त्योहार भी मनवाने की व्यवस्था करती।
सिंदूर की डिबिया पर तस्वीर का सवाल
नेहा ने तंज कसते हुए पूछा है कि जो सिंदूर बांटा जाएगा, उसकी डिबिया पर तस्वीर किसकी होगी? कहीं ऐसा तो नहीं कि उस पर भी वही मोदी जी की तस्वीर छपी होगी! यह सवाल सरकार की कथित आत्ममुग्धता पर करारा प्रहार करता है। क्या वाकई में सरकार इस तरह के प्रतीकात्मक अभियान को अपनी छवि चमकाने के लिए इस्तेमाल करने की योजना बना रही है?
बिहार की महिलाओं को चेतावनी
नेहा सिंह राठौड़ ने बिहार और पूरे देश की महिलाओं को सलाह दी है कि जब ये भाजपाई सिंदूर लेकर आपके घर आएं, तो आप बाहर न निकलें। उन्होंने सवाल उठाया कि एक भाजपाई, वो भी सिंदूर लेकर आपके दरवाजे पर खड़ा हो और दरवाजा खटखटाए, तो क्या आपको लगता है कि दरवाजा खोलना चाहिए? नेहा ने भावनात्मक अपील करते हुए कहा, "मेरी बहनों, हाथ जोड़ती हूं, आप लोग दरवाजा मत खोलिएगा। लक्ष्मण रेखा मत लांघिएगा। इन लोगों का चाल-चलन ठीक नहीं है।" उन्होंने सुझाव दिया कि बंद दरवाजे के पीछे से ही डांट दीजिए और कह दीजिए कि अपने पति का दिया सिंदूर लगाया जाता है, किसी पराए मर्द के हाथ का सिंदूर नहीं लिया जाता।
परंपरा और संस्कृति का अपमान?
नेहा ने सरकार की इस कथित योजना को परंपरा और संस्कृति का अपमान बताया है। उन्होंने कहा कि सिंदूर, बिंदी, बिछिया, महावर, कंघी, नेलपॉलिश, तीज, खिचड़ी, गवना, दोंगा, कोहबर, माड़ो, छट्ठी, बरही—इन सबका भावनात्मक और सांस्कृतिक महत्व है। इनका सरकार से क्या लेना-देना? नेहा का कहना है कि यह सरकार बिहार में चुनावों के करीब आते ही महिलाओं का भावनात्मक दोहन और शोषण करने की योजना बना रही है। उनकी नसों में जो "गर्म सिंदूर" बह रहा था, उसे अब डिबिया में पैक करने का वक्त आ गया है, क्योंकि बिहार का चुनाव नजदीक है।
बिहार की बेरोजगारी और सरकार की रणनीति
लेख में बिहार की बेरोजगारी का जिक्र करते हुए एक गंभीर सवाल उठाया गया है। बिहार के करोड़ों पुरुष हर साल रोजगार की तलाश में रेलगाड़ियों में भरकर देश के अलग-अलग हिस्सों में जाते हैं। उनकी पत्नियां अपनी मांग में अपने पतियों के नाम का सिंदूर भरती रहती हैं, क्योंकि बिहार में रोजगार के अवसर नहीं हैं। अगर रोजगार होता, तो उनके पतियों को बाहर क्यों जाना पड़ता? नेहा का आरोप है कि सरकार पूरी ताकत लगा रही है ताकि बिहार की महिलाओं और आबादी के मन में यह सवाल न आए कि बिहार के लोग बेरोजगार क्यों हैं। सरकार इस तरह के अभियानों के जरिए लोगों को भटकाना चाहती है।
सरकार की नीचता और महिलाओं का अपमान
लेख में इस कथित अभियान को सरकार की अश्लीलता की पराकाष्ठा बताया गया है। यह भारतीय महिलाओं का सामूहिक अपमान है। परंपरा के अनुसार, जब एक महिला का पति बारात लेकर आता है, तो वह सिंदूर, चूड़ा, मंगलसूत्र समेत सुहाग की सारी चीजें साथ लाता है। कोई बाहरी व्यक्ति किसी घर की महिला को सिंदूर नहीं दे सकता। यह महापाप है। लेकिन लेख में कहा गया है कि परंपरा और संस्कृति की दुहाई देने वाली भाजपा सरकार पराई स्त्रियों को सिंदूर देना चाहती है। यह कितना बड़ा अंधेर है?
देशवासियों से विरोध की अपील
लेख में देशवासियों से इस कथित सरकारी मुहिम का विरोध करने की अपील की गई है। यह सरकार की नीचता का प्रतीक है, जिसके खिलाफ एकजुट होकर आवाज उठानी चाहिए। नेहा सिंह राठौड़ ने जो लिखा है, उसमें कितना सच है, यह पाठकों को सोचने के लिए छोड़ दिया गया है, लेकिन यह स्पष्ट है कि यह लेख सरकार की नीतियों और रणनीतियों पर गहरी चोट करता है।
— R.S. Meena