कांग्रेस और विचारधारा का सफर, नेहरू ही प्राण फूंकेंगे!

चार साल पुरानी सोच

चार साल पहले लिखा था, और आखिरी पैराग्राफ 90% सत्य हुआ—“नेहरू ही प्राण फूंकेंगे फिर से।” मैं कांग्रेस को इसलिए पसंद नहीं करता कि इसके नेता आजादी की लड़ाई में आगे थे, बल्कि मेरी सोच और विचारधारा का राजनैतिक प्रतिनिधित्व आज भी कांग्रेस करती है।

परिवार और संस्कार: मेरी जड़ें

हम सब “मैं” के इर्द-गिर्द जीते हैं। जिस घर में पैदा हुआ, वहाँ बचपन से जो देखा, सुना, महसूस किया—वो मेरी आत्मा को सुकून देता रहा। दादाजी, ताऊजी, पिताजी, माँ से सुनी बातों में कभी अंतर्विरोध नहीं हुआ। यही मेरी जड़ें हैं।

कांग्रेस और आम आदमी पार्टी और सीमाएँ

कांग्रेस के सबसे करीब मुझे आम आदमी पार्टी लगती थी, लेकिन पूरे देश को एकसूत्र में बाँधने की ताकत उसमें नहीं दिखती। व्यक्तिपूजक होना खतरनाक है, फिर भी नेहरू में मेरा आकर्षण है। उनकी तार्किकता और बुद्धिमानी मुझे खींचती है, जो मुझे गांधीजी में भी कम दिखी।

नेहरू का खेल

गांधीजी की सीमाएँ थीं, नेहरू असीम थे। मानवीय कमजोरियों और भूलों के बावजूद, नेहरू इस देश के सलामी बल्लेबाज बने। दूरदर्शिता गांधीजी में थी, और वे सही साबित हुए। ओपनिंग बैट्समैन की सबसे कठिन जगह पर नेहरू ने बैटिंग की—न बैट था, न सुविधा, सामने खतरनाक गेंदबाज, असमान उछाल और टर्न लेती विकेट। फिर भी शानदार पारी खेलकर गए। विश्व ने खड़े होकर उनकी पैवेलियन वापसी पर तालियाँ बजाईं, एक बड़े स्कोर की नींव रखकर।

कवि और नेता

नेहरू सम्पूर्ण राजनीतिज्ञ नहीं, बुद्धिजीवी कवि या लेखक ज्यादा थे। उनकी कल्पनाएँ असीम थीं, पर सपनों को साकार करने का वक्त और संसाधन कम पड़े। फिर भी, शक्ति के साथ सर्वोच्च पद पर बैठे कवि ने जो किया, वह कमाल था। उनमें बुद्ध दिखते हैं—मध्यम मार्ग, सबको साथ लेकर चलने की कला। यह देश का दर्शन है, और यही कांग्रेस का मर्म है।

नेहरू-गांधी परिवार: कांग्रेस का कस्टोडियन

कांग्रेस आज नेहरू-गांधी परिवार के इर्द-गिर्द है, यह सच है। कारण यह भी है कि नेहरू की आत्मा इसी में बसी है, और यह परिवार उसका संरक्षक है। न कांग्रेस इन्हें छोड़ सकती है, न ये कांग्रेस को। चाहे अनचाहे, नेहरू को जिंदा रखना उनकी मजबूरी है। नेहरू की झलक और आभा अगर परिवार या कांग्रेस से हटी, तो कांग्रेस खत्म हो जाएगी। सिंधिया जैसे लोग नाराजगी में विचारधारा को चंबल में फेंक देते हैं—फिर भरोसा किस पर?

राहुल का रास्ता

राहुल गांधी चाहकर भी नरेंद्र मोदी नहीं बन सकते, क्योंकि उनमें नेहरू हैं। उन्हें नेहरू की तरह सड़क पर आना होगा, कार्यकर्ताओं के घर अचानक पहुँचना होगा, देश के हर कस्बे को नापना होगा। तभी कांग्रेस फिर शानदार वापसी करेगी।

नेहरू ही इस देश को फिर से प्राण दे सकते हैं। उनकी बुद्धिमत्ता, दूरदर्शिता और मध्यम मार्ग की नीति कांग्रेस को पुनर्जीवित कर सकती है, बशर्ते यह परिवार और पार्टी उनकी आत्मा को बनाए रखे।

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