कश्मीर और मणिपुर: सद्भाव की खबरें और गोदी मीडिया की चुप्पी

सद्भाव की अनदेखी

वरिष्ठ पत्रकार शकील अख्तर की इस पोस्ट को साझा करना इसलिए जरूरी है, क्योंकि देश में सद्भाव बनाए रखने वाली खबरें अब गोदी मीडिया नहीं दिखाता। हमें ऐसी खबरों को आगे बढ़ाना होगा, जो एकता और शांति का संदेश देती हों।

1. कश्मीर से गायब खबरें: आतंकवाद के खिलाफ एकजुटता

कुछ महत्वपूर्ण खबरें मुख्यधारा के मीडिया से पूरी तरह गायब हैं:

  • पहली खबर: कल पहलगाम, श्रीनगर और कश्मीर घाटी के कई इलाकों में आतंकवाद के खिलाफ प्रदर्शन हुए। अस्पतालों में घायलों को खून देने के लिए स्थानीय लोगों की कतारें लगी रहीं।
  • दूसरी खबर: विपक्ष और अन्य संगठनों ने आतंकवाद से शोक और विरोध में आज कश्मीर में बंद का आह्वान किया। पहली बार मीर वाइज उमर फारूक और पीडीपी प्रमुख महबूबा मुफ्ती ने भी इस बंद का समर्थन किया।
    ये दोनों खबरें न तो कल टीवी चैनलों पर दिखीं, न ही आज के अखबारों में छपीं।

2. गोदी मीडिया की चुप्पी: सूचना का दायित्व भूला

मीडिया का मुख्य कार्य सही सूचना देना है, लेकिन वह अपने कर्तव्य से विमुख हो गया है। मणिपुर पर भी मीडिया ने सूचनाओं को दबाया और एकतरफा, भड़काऊ खबरें प्रसारित कीं। कश्मीर की इन घटनाओं के बाद दो बातें सबसे अहम हैं:

  • पाकिस्तान की यह मंशा कि शेष भारत में तनाव बढ़े, उसे पूरा न होने देना।
  • पाकिस्तान और अंतरराष्ट्रीय समुदाय को यह संदेश देना कि विपक्षी दलों के साथ-साथ पूरी जनता आतंकवाद के खिलाफ एकजुट है।

3. विपक्ष की पहल और सरकार की जिम्मेदारी

नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी और कांग्रेस अध्यक्ष मलिकार्जुन खरगे ने गृह मंत्री अमित शाह से बात करके सकारात्मक कदम उठाया। सरकार को भी विपक्ष को विश्वास में लेना चाहिए। एक सर्वदलीय बैठक बुलाकर देश में शांति और सद्भाव बनाए रखने की अपील करनी चाहिए।
यह मौका है जब सरकार मणिपुर और कश्मीर में सामान्य स्थिति बहाल करने की कोशिश सभी के साथ मिलकर करती हुई दिखे। यह समय राजनीति का नहीं है। राजनीति के कारण ही मणिपुर से लेकर कश्मीर तक की स्थिति सरकार के नियंत्रण में नहीं है।

4. मोदी सरकार की विफलता: बातों से काम नहीं

मोदी सरकार केवल बातों से लोगों को बहकाने, और कई बार भड़काने में विश्वास रखती है। मूल समस्या राजनीतिक इच्छाशक्ति की कमी है। सुरक्षा मामलों की समीक्षा का अभाव है। कई सेवानिवृत्त सैन्य और सुरक्षा बल अधिकारियों का कहना है कि सरकार ने भर्तियाँ बंद करके सेना और सुरक्षा बलों का काम मुश्किल कर दिया है।
सेना और सुरक्षा बलों में एक पुराना मुहावरा था—“मैनपावर की कमी नहीं है।” आज सबसे बड़ी कमी उसी की हो गई है।

निष्कर्ष: एकता और सद्भाव की जरूरत

कश्मीर और मणिपुर की ये घटनाएँ हमें एकजुट होने का अवसर देती हैं। गोदी मीडिया भले ही चुप हो, हमें ऐसी खबरों को साझा करके देश में शांति और सद्भाव का संदेश फैलाना होगा।

लेखक: शकील अख्तर

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