कहो दिल से, नोटबन्दी फिर से : Manish Kumar Singh

काले धन का बाजार और सामाजिक पतन

मित्रों! बाप बड़ा न भैया, सबसे बड़ा रुपैया। इस सोच के साथ हमारा अधोगामी समाज एक बार फिर पतन की गर्त में फंस गया है। देश में काले धन का बाजार गरमा चुका है। करेंसी सर्कुलेशन 2018 के स्तर को पार कर गया है। बैंकों में जमा धन लगातार घट रहा है। नकली करेंसी बाजार में मिल रही है। ब्याज दरें बढ़ रही हैं, और वेश्यावृत्ति व शराबखोरी नियंत्रण से बाहर हो रहे हैं। अपराधी किस्म के नेता काले धन की मदद से चुनाव जीत रहे हैं। दौलत खाकर पार्टी बदलकर मंत्री बन रहे हैं। हाल ही में एक नरेन्द्रपुत्र को हमने 100 करोड़ की डील करते वायरल वीडियो में देखा।


नोटबंदी: सौ बीमारियों की एक दवा

मित्रों! न खाएंगे, न खाने देंगे। अब वक्त आ गया है कि इन बदमाशों पर एक बार फिर सर्जिकल स्ट्राइक की जाए। यह स्ट्राइक सिर्फ नोटबंदी से संभव है। वेदों में लिखा है कि नोटबंदी सौ बीमारियों की एक दवा है। जैसे लौकी का जूस पीने से कैंसर ठीक हो जाता है, और पैर के नीचे नींबू दबाकर पेशाब करने से प्रेमिका का प्यार मिलता है, वैसे ही नोटबंदी एक ऐसा टोटका है, जिससे तमाम सामाजिक-आर्थिक बुराइयों को जड़ से खत्म किया जा सकता है।

पिछली नोटबंदी की "उपलब्धियाँ"

पिछली नोटबंदी से काला धन पूरी तरह समाप्त हो गया था। 140 करोड़ अपराधी दीवालिया होकर सड़कों पर 2-2 हजार रुपये निकालने के लिए लाइनों में खड़े थे। कुछ हजार अपराधी तो शर्म से मर गए। बैंकों की जमा में वृद्धि हुई, करेंसी सर्कुलेशन घटा। आतंकवाद की कमर टूट गई थी, और वेश्यावृत्ति-शराबखोरी संस्कारी लेवल पर आ गए थे। साथ ही पुराने बोरिंग नोटों की जगह नए, सुंदर, और रंगीन नोट मिले, जिससे हमारे जीवन में बहार आई।

वामपंथी विरोध और सच्चा देशभक्त

कुछ वामपंथी नोटबंदी का विरोध करते दिखेंगे। उन पर ध्यान न दें। बल्कि उनसे पूछें—जब नेहरू ने नोटबंदी की थी, तब कहाँ थे? मैंने तय किया है कि आने वाले विधानसभा और लोकसभा चुनावों में मैं वोट सिर्फ उसी को दूंगा, जो अपने घोषणापत्र में नोटबंदी का वादा करेगा। सच्चा ईमानदार नेता वही है, जो कहे, "तुम मुझे वोट दो, मैं तुम्हें नोटबंदी दूंगा।" सच्चा देशभक्त हिंदू वही है, जो कहे, "नोटबंदी मेरा जन्मसिद्ध अधिकार है, मैं उसे लेकर रहूंगा।" क्योंकि जो हिंदू राष्ट्र से प्यार करता है, वो नोटबंदी से कैसे इंकार कर सकता है?

नोटबंदी का विरोधी, देश का दुश्मन

मित्रों! यदि कोई पार्टी नोटबंदी से इंकार करे या इसका विरोध करे, तो निश्चित रूप से वह आतंकवादियों और पाकिस्तान का समर्थन करने वाली पार्टी है। आप सभी अपने मोहल्ले, शहर, राज्य में हर नेता से पूछें कि क्या वह सत्ता में आकर नोटबंदी करेगा। अगर वह मना करे, तो उसे कतई वोट न दें। जरूरत पड़े, तो हम सब देशभक्त मिलकर एक नई पार्टी बनाएँ—भारतीय नोटबंदी पार्टी। हमारा वादा होगा कि हर साल 8 नवंबर को वार्षिक नोटबंदी दिवस घोषित होगा। जरूरत पड़े तो हर माह, या हर सोमवार—साप्ताहिक नोटबंदी भी कर सकते हैं।

समर्थन और प्रेरणा

अगर कोई इसका विरोध करे, तो उसे अरुण जेटली, भक्तों, और भजपाइयों के 2018 के ट्वीट और प्रेस कॉन्फ्रेंस के वीडियो दिखा सकते हैं। हमारे नेता सिर्फ मोदी जी होंगे। वे निश्चित रूप से बीजेपी छोड़कर हमारी पार्टी जॉइन करेंगे, और विजयश्री, पद्मश्री हमारी होगी। तो मेरा आँख मूंदकर समर्थन करें। मोटिवेशन के लिए यूट्यूब पर सर्च करें, "घर में शादी है, पैसे नहीं हैं" वाला वीडियो देखें। और कहें दिल से—नोटबंदी फिर से 😍

डिस्क्लेमर -  यह लेख प्रसिद्द लेखक, व्यंग्यकार मनीषकुमार सिंह के मूल लेख का सम्पादित वर्जन है. मूल लेख ज्यादा मजेदार और चुटीला है, मूल लेख को यहाँ क्लिक करके जरुर पढ़ें.


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