भारत, नेहरू और CIA: आत्मसम्मान की कहानी

1950 का भारत

“India wants to be respected, not controlled.” ये वाक्य 1950 के दशक में CIA की नजर में भारत की पहचान बन गया। एक ऐसा देश, एक ऐसा नेता जो सरेंडर नहीं करता। जब कोई विदेशी खुफिया एजेंसी एक राष्ट्र के आत्मसम्मान को कागज पर उतारती है, तो यह सिर्फ विश्लेषण नहीं, बल्कि एक मनोरचना की सर्जरी होती है। भारत, जिसकी आत्मा हिमालय से वेदों तक फैली है, उसे वाशिंगटन के दफ्तर में बैठा अफसर कैसे समझ पाएगा? फिर भी उन्होंने कोशिश की।


एक रिपोर्ट की कहानी

CIA ने एक रिपोर्ट तैयार की—"Psychological Background Study of India" (संख्या: CIA-RDP61S00750A000700120003-7), जो नेट पर सर्च करके डाउनलोड की जा सकती है। यह कोई जासूसी कथा नहीं, बल्कि भारत के चेतन मन, अवचेतन मन और राजनीतिक आत्मा का पश्चिमी ऑपरेशन है। CIA कहती है, 

  • “भारतीय मानस भावनात्मक है, तर्क से ज्यादा परंपरा से प्रेरित, और विदेश नीति तटस्थ नहीं, नैतिक अहंकार से भरी है।” उन्होंने हमें धर्मभीरु, भाग्यवादी, निष्क्रिय और स्वप्नदर्शी कहा, सोचकर कि यह राष्ट्र उनकी रणनीति में फिट हो जाएगा।

नेहरू: CIA की पहेली और भारत शक्ति

CIA के लिए सबसे बड़ी पहेली थे पंडित जवाहरलाल नेहरू—“A Westernized Intellectual with Eastern Sentiments.” वे तय नहीं कर पा रहे थे कि नेहरू ब्रिटिश दिमाग के उत्पाद हैं या भारतीय आत्मा के प्रतिनिधि। उन्हें आदर्शवादी माना, लेकिन उनकी स्वतंत्र विदेश नीति—गुटनिरपेक्ष आंदोलन, चीन और सोवियत संघ से संवाद, और अमेरिका के आगे झुकने से इनकार—CIA को खतरनाक लगी। “India wants to be respected, not controlled” नेहरू के चरित्र को सटीक बयान करता है।

समाज और गलतफहमियाँ

CIA का विश्लेषण कहता है, “भारतीय पहचान धर्म से होती है, वर्ग से नहीं।” उन्हें समझ नहीं आया कि एक गरीब ब्राह्मण और एक अमीर ब्राह्मण दोनों को ‘ब्राह्मण’ पहले लगता है, वर्ग बाद में। मुस्लिमों को "Separate group consciousness" और हिंदू समाज को "caste-compartmentalized but internally coherent" माना गया। वे सोचते रहे कि यह समाज बंटा है, पर यह टूटकर भी धर्म, परंपरा और राष्ट्रभावना से जुड़ा है।

तटस्थता का सच

CIA ने भारत की नीति को "psychological defense mechanism" कहा, मानकर कि भारत डरता है और इसलिए तटस्थता ओढ़ लेता है। लेकिन नेहरू डरते नहीं थे। उन्होंने अमेरिका, सोवियत संघ और चीन से दूरी बनाकर NAM (गुटनिरपेक्ष आंदोलन) जैसी आत्मनिर्भर धुरी खड़ी की। CIA को यह समझ नहीं आया कि हमारा तटस्थ होना ‘डर’ से नहीं, “वसुधैव कुटुंबकम्” की नींव से था, न कि "divide and rule" से।

रणनीति और प्रभाव

रिपोर्ट में सलाह दी गई, “भारत को प्रभावित करने के लिए शिक्षा, मीडिया और बौद्धिक विमर्श में हस्तक्षेप करो, पर खुले नियंत्रण से बचो।” निष्कर्ष था कि भारत भावनात्मक राष्ट्र है, जहां राष्ट्रवाद, परंपरा और नैतिकता कूटनीति को जटिल बनाती है। अमेरिका को सम्मान और मैत्री से संपर्क करना होगा, धीमे हस्तक्षेप से मीडिया, शिक्षा और विचारधारा पर असर डालना होगा। आज NGO नेटवर्क, मीडिया नैरेटिव और बौद्धिक ध्रुवीकरण देखकर यह दस्तावेज़ नियंत्रण के महल की नींव लगता है। CIA ने सुप्त राइट विंग को सपोर्ट शुरू किया, जिसकी परिणीति आज दिखती है।

नेहरू और भारत की आत्मा

यह दस्तावेज़ बताता है कि नेहरू सिर्फ प्रधानमंत्री नहीं, एक विचारधारा थे—गांधी की करुणा और बुद्ध की विवेकशीलता के उत्तराधिकारी। भारत कोई प्रयोगशाला या जमीन का टुकड़ा नहीं, एक सांस्कृतिक ऋषि है, जो सैकड़ों साल की गुलामी के बाद भी अपनी चेतना को स्वतंत्र रखता है। आज भी भारत भावनात्मक है, पर जागरूक; नेहरू विवादित, पर असाधारण; और CIA भ्रमित, पर सक्रिय है।

👉इस लेख को मूल संस्करण x (पूर्व मे ट्विटर) पर जो विजय जी ने लिखा यहाँ क्लिक करके पढ़ सकते हैं। 👈

मुख्य बिंदु

  1. CIA का भारत पर विश्लेषण

    • भारत को “भावनात्मक, परंपरागत, धर्मभीरु, और स्वप्नदर्शी” माना।

    • भारतीय समाज की पहचान “धर्म से, न कि वर्ग से”।

    • हिंदू समाज को “जातियों में बँटा, पर आंतरिक रूप से जुड़ा” और मुस्लिमों को “अलग समूह चेतना” वाला बताया।

  2. नेहरू: CIA की पहेली

    • पंडित जवाहरलाल नेहरू को “पश्चिमी बुद्धिजीवी, पूर्वी भावनाओं वाला” कहा।

    • उनकी गुटनिरपेक्ष नीति और अमेरिका, सोवियत संघ, चीन से स्वतंत्र संवाद CIA को खतरनाक लगा।

    • “India wants to be respected, not controlled”—नेहरू का चरित्र इस वाक्य में सिमटा।

  3. गुटनिरपेक्षता: डर नहीं, दर्शन

    • CIA ने भारत की तटस्थता को “मनोवैज्ञानिक रक्षा तंत्र” माना, पर यह “वसुधैव कुटुंबकम्” की नींव थी।

    • नेहरू ने NAM (गुटनिरपेक्ष आंदोलन) के जरिए भारत को आत्मनिर्भर धुरी बनाया।

    • यह स्वतंत्रता की भावना थी, न कि डर।

  4. CIA की रणनीति

    • भारत को प्रभावित करने के लिए “शिक्षा, मीडिया, और बौद्धिक विमर्श” में हस्तक्षेप की सलाह।

    • खुले नियंत्रण के बजाय “मैत्री और सम्मान” की नीति सुझाई।

    • सुप्त राइट-विंग को समर्थन की शुरुआत, जिसके प्रभाव आज दिखते हैं।

  5. भारत की आत्मा

    • भारत कोई प्रयोगशाला नहीं, बल्कि सांस्कृतिक ऋषि है, जो गुलामी के बाद भी अपनी चेतना को स्वतंत्र रखता है।

    • नेहरू एक प्रधानमंत्री नहीं, गांधी की करुणा और बुद्ध की विवेकशीलता के उत्तराधिकारी थे।

    • आज भी भारत भावनात्मक, जागरूक, और स्वतंत्र है।

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