NDTV के संस्थापकों की सात साल की लड़ाई
प्रणॉय राय और राधिका राय—दो ऐसे नाम, जो भारत में गुणवत्ता और सज्जनता की पत्रकारिता के प्रतीक रहे हैं। इन्होंने एक सभ्य और पेशेवर टीवी चैनल NDTV की स्थापना की और इसके सफल संचालन के लिए जाने गए। लेकिन सात साल पहले, मोदी युग में, सीबीआई ने इनके खिलाफ एक मामला दर्ज किया। हाल ही में, सीबीआई ने यह मामला बंद कर दिया और कोर्ट में अपनी अंतिम रिपोर्ट में साफ कहा कि इस दंपति ने कुछ भी गलत नहीं किया।
1. गोदी मीडिया और सोशल मीडिया का प्रोपेगंडा
इन सात सालों में, सोशल मीडिया और गोदी मीडिया ने इस मामले से जुड़ी कई "लीक" को चटपटे रहस्योद्घाटन के रूप में पेश किया। इस जोड़ी को खलनायक बनाने के लिए सार्वजनिक विमर्श में लगातार झूठी बातें फैलाई गईं। इनके खिलाफ एक सुनियोजित अभियान चलाया गया, ताकि इनकी छवि को धूमिल किया जा सके।
2. सीबीआई और ईडी की कार्रवाई: न्याय की गुहार बेकार
प्रणॉय और राधिका ने न्यायपालिका के हर दरवाजे पर न्याय की गुहार लगाई, लेकिन उनकी सुनवाई नहीं हुई। सीबीआई ने इनके घर और दफ्तर पर बार-बार छापे मारे। प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) भी तलवार भांजता रहा। 22 दिनों तक सीबीआई ने इनसे थकाने और डराने वाली पूछताछ का प्रहसन चलाया।
3. अडानी की चाल: संस्थान को ब्लैकमेल करना
इस बीच, एक सांस्थानिक कर्ज की उनकी हुंडी एक व्यापारी के पास गिरवी थी। राष्ट्रसेठ अडानी ने उसे हासिल कर लिया। इस दंपति को समझ आ गया कि "नए भारत" में रहना है, तो उनकी बनाई कंपनी और पत्रकारिता की शुचिता को सौंपना होगा। मजबूरन, उन्होंने इस ब्लैकमेल के आगे झुककर अपनी कंपनी अडानी को सौंप दी और पत्रकारिता से तौबा कर ली।
4. संघी घराने का जश्न: असहमति की आवाज़ दबाई
संघी घराने ने इस घटना पर जश्न मनाया। उनके लिए यह एक असहमत आवाज़ का गला घोंटने की बड़ी जीत थी। एक स्वतंत्र मीडिया संस्थान, जो सत्ता से सवाल पूछने की हिम्मत रखता था, उसे चुप करा दिया गया।
5. सीबीआई की अंतिम रिपोर्ट: सच्चाई की जीत?
अब, सात साल बाद, सीबीआई ने इस मामले को बंद कर दिया। कोर्ट में पेश की गई अंतिम रिपोर्ट में साफ कहा गया कि प्रणॉय राय और राधिका राय ने कुछ भी गलत नहीं किया। लेकिन यह सच्चाई सामने आने में सात साल लग गए, और इस दौरान इस दंपति को अपमान, तनाव और ब्लैकमेल का सामना करना पड़ा।
6. प्रणॉय और राधिका का निजी जीवन: सादगी और परोपकार
प्रणॉय राय और राधिका राय सीपीएम के पूर्व महासचिव प्रकाश कारात और उनकी पत्नी वृंदा कारात के साढ़ू-साढ़ूइन हैं। इन दोनों दंपतियों ने अपने बच्चे पैदा नहीं किए, बल्कि पांच अनाथ बच्चों को गोद लेकर उनका पालन-पोषण किया और उनके लिए उज्ज्वल भविष्य बनाया। इन्होंने अपने जीवन की सारी संपत्ति को किसी निजी विरासत के लिए नहीं, बल्कि एक सार्वजनिक ट्रस्ट को समर्पित करने का फैसला किया है।
निष्कर्ष: "नया भारत" और नाज़ी तरीके
ऐसे सज्जन और परोपकारी लोगों के लिए यह "नया भारत" बनाया गया है! आप चाहें तो ताली बजा सकते हैं। यह वही तरीका है, जिसे नाज़ी अपनाते थे—असहमति को कुचलना और सच को दबाना।
This is how NAZIS Operated.