अमेरिका में लगे गंभीर आरोप, भारत की वैश्विक छवि पर सवाल
भारत सरकार के खुफिया विभाग के कुछ लोगों पर अमेरिका में एक खालिस्तान समर्थक की हत्या की साजिश रचने का आरोप लगा है। अमेरिका का दावा है कि उनके पास इस मामले में ढेर सारे सबूत हैं। जिस व्यक्ति को निशाना बनाया गया, वह विश्व सूची में शामिल आतंकवादी नहीं है। वह भारत में किसी आतंकवादी हमले में सीधे तौर पर शामिल नहीं है और न ही उसने भारत की धरती पर कोई अपराध किया है। वह एक वकील है, जो खालिस्तान की वकालत करता है, इसके लिए फंड जुटाता है, और विदेश से बैठकर भारत में लोगों को भड़काता है। वह एक अलग खालिस्तान देश की मांग करता है। लेकिन सवाल यह है—क्या वह इतना खतरनाक है कि भारत सरकार उसकी हत्या की साजिश रचे? शायद नहीं। वह पंजाब या भारत के अस्तित्व के लिए उतना बड़ा खतरा नहीं है, जितना दावा किया जा रहा है।
1. सरकार के सामने विकल्प: सच स्वीकारें या झूठ बोलें
इस स्थिति में सरकार के पास दो विकल्प थे:
विकल्प 1: आरोपों को नकार देना
सरकार यह कह सकती थी कि यह आरोप पूरी तरह झूठा है और भारत एक निर्दोष राष्ट्र की तरह व्यवहार करे। लेकिन लेखक का मानना है कि अमेरिका के पास पर्याप्त सबूत हैं। अगर भारत अपनी बेगुनाही का दावा करता है, तो वे और अधिक जानकारी सार्वजनिक कर सकते हैं, जिससे भारत को वैश्विक स्तर पर और अपमान का सामना करना पड़ सकता है।
विकल्प 2: आरोपों को स्वीकार करना
दूसरा विकल्प था कि सरकार खुलकर कहे कि हाँ, पन्नू भारत के लिए खतरा है, इसलिए उसे निशाना बनाया गया। भारत अमेरिका को साफ चेतावनी दे कि वह अब चुप नहीं रहेगा और ऐसे लोगों को सबक सिखाएगा। यह एक मजबूत रुख होता, जो भारत की संप्रभुता को दर्शाता।
2. भारत की वास्तविक प्रतिक्रिया: बचकाना झूठ
लेकिन भारत ने इन दोनों विकल्पों को चुनने के बजाय एक बचकाना रास्ता चुना। सरकार का दावा है कि यह साजिश जेल में बंद गैंगस्टर लॉरेंस बिश्नोई ने रची, जो कथित तौर पर दुनिया भर में हत्याएँ करवा रहा है। यह कहानी इतनी अविश्वसनीय है कि एक 10 साल का बच्चा भी इस पर यकीन नहीं करेगा। यह एक KGF फिल्म की स्क्रिप्ट की तरह लगता है, जो शायद भारत में बिक जाए, लेकिन अमेरिका में नहीं। वहाँ 1% लोग भी इस कहानी को नहीं मानेंगे।
अमेरिका के लोग सीधे सवाल पूछेंगे:
- आप अपने देश में ऐसे अपराधियों को पनपने क्यों दे रहे हैं?
- यह भारत है या नाइजीरिया?
- कोई देश आपके यहाँ कैसे निवेश करेगा?
3. मामले की समयरेखा: विकास यादव की गिरफ्तारी
पिछले साल नवंबर 2023 में, वाशिंगटन पोस्ट ने इस खबर को प्रकाशित किया था। इसके तीन हफ्ते बाद, दिल्ली पुलिस ने विकास यादव को एक व्यापारी से उगाही के मामले में गिरफ्तार कर जेल भेज दिया। यह स्पष्ट है कि सरकार अब यह कहकर उसे प्रत्यर्पित नहीं करेगी कि वह भारत में एक आपराधिक मामले में आरोपी है। यह पूरी कहानी इतनी पारदर्शी है कि एक चपरासी भी इसे समझ सकता है।
4. भारत की गलती: अंतर्राष्ट्रीय छवि को नुकसान
भारत ने अपने स्वतंत्र इतिहास में पहली बार एक अंतर्राष्ट्रीय गड़बड़ी पैदा की है। एक अलगाववादी को निशाना बनाने और कनाडा से कूटनीतिक रूप से लड़ने की रणनीति को स्वीकार करने के बजाय, भारत ने सबसे खराब रास्ता चुना—यह कहना कि "लॉरेंस बिश्नोई ने ऐसा किया"। यह झूठ न केवल हास्यास्पद है, बल्कि भारत की वैश्विक छवि को भी नुकसान पहुँचाता है। इससे हमारे खुफिया बलों का अपमान होता है और हमारी विश्वसनीयता कमज़ोर होती है।
5. अब आगे क्या?
भारत के पास अब सीमित विकल्प बचे हैं। संभव है कि भारत अमेरिका के दबाव में आकर कुछ रियायतें दे:
- रूसी तेल खरीदना बंद कर दे।
- अमेरिका से हथियार खरीदे।
- या फिर ट्रंप प्रशासन का इंतज़ार करे।
लेकिन जो भी हो, भारत इस पूरे मामले में बहुत खराब स्थिति में है। लेखक का मानना है कि अगर भारत ने शुरू में ही स्पष्ट रूप से कह दिया होता, "हाँ, हमने उसे मारने की कोशिश की, और अगर वह अलगाववाद की बात करता है तो हम फिर से ऐसा करेंगे", तो शायद यह बेहतर होता। कम से कम इससे भारत की संप्रभुता और दृढ़ता का संदेश जाता।
निष्कर्ष: सम्मान बचाने का आखिरी मौका
लॉरेंस बिश्नोई के पीछे छिपना, बचकाने झूठ बोलना, और दिल्ली पुलिस से विकास यादव को गिरफ्तार करवाना—ये ऐसी हरकतें हैं, जो भारत की छवि को गहरी चोट पहुँचाती हैं। अब कम से कम भारत को अमेरिका की अवहेलना करनी चाहिए और एक दृढ़ संदेश देना चाहिए। अगर हम पीछे हटते हैं, तो यह सचमुच "ईस्ट इंडिया कंपनी 2.0" जैसी स्थिति होगी।
Author - Sudhanshu Shekhar