अर्थव्यवस्था को समझने का सही तरीका
अगर आपको भारतीय अर्थव्यवस्था को सही मायने में समझना है, तो कांग्रेस के नेताओं और प्रवक्ताओं को सुनें। उनके पास हर डेटा, उसके रेफरेंस और गहरा विश्लेषण होता है, जो अर्थव्यवस्था पर उनकी मजबूत पकड़ और समझ को दर्शाता है।
1. गोदी मीडिया का दोहरा रवैया: कांग्रेस से कठिन सवाल
हाल ही में गोदी मीडिया ने कांग्रेस के प्रवक्ताओं से "वर्ल्ड लेवल" के मुश्किल सवाल पूछे। ऐसा लग रहा था कि उस दिन गोदी मीडिया सच में पत्रकार बनकर आया था। मज़ेदार बात यह थी कि जब कांग्रेस प्रवक्ता जवाब दे रहे थे, तो गोदी मीडिया खामोशी और सम्मान के साथ सुन रहा था। शायद उसे भी पता था कि बजट और अर्थव्यवस्था पर ऐसे सवाल सिर्फ कांग्रेस से ही पूछे जा सकते हैं।
2. बीजेपी की बकलोली: निर्मला सीतारमण से हल्के सवाल
वहीं, जब गोदी मीडिया ने बीजेपी नेताओं, खासकर निर्मला सीतारमण से सवाल पूछे, तो वह डरते, सकुचाते और हिचकिचाते दिखा। साफ पता चल रहा था कि सवाल पहले से तय और प्लांटेड थे। अगर गोदी मीडिया ने कांग्रेस के स्तर के सवालों का 1% भी निर्मला सीतारमण से पूछ लिया होता, तो उन्हें पसीने छूट जाते।
मोदी और बीजेपी प्रवक्ताओं से तो बस नाले की गैस से उठते मुंगेरीलाल के हसीन सपनों जैसी बकलोल लफ्फाजी ही सुनने को मिलती है।
3. मोदी की नाकामी: इकोनॉमिक्स का ज्ञान शून्य
मोदी से तो सवाल पूछना ही बेकार है, क्योंकि उन्हें इकोनॉमिक्स का "E" भी नहीं पता। बकवास और कॉमेडी में उनकी "डबल PhD" है। वे बस यही दोहराते हैं:
- "विपक्ष मेरा गला घोंट रहा है।"
- "एक अकेला सब पर भारी।"
- "जान बचाकर आया हूँ।"
- "बादलों से राडार को धोखा।"
ऐसी बातें सुनकर अर्थव्यवस्था की समझ तो दूर, हँसी ही आती है।
निष्कर्ष: अर्थव्यवस्था पर कांग्रेस की सशक्तता
अर्थव्यवस्था जैसे जटिल मुद्दे पर कांग्रेस की पकड़ और बीजेपी की नाकामी साफ दिखती है। गोदी मीडिया का दोहरा रवैया भी सामने आता है, जो कांग्रेस से तो कठिन सवाल पूछता है, लेकिन बीजेपी के सामने नतमस्तक हो जाता है।
Author - Nagesh Salwan