रवीश कुमार: पत्रकारिता के पतन के बीच एक उम्मीद की किरण
आज के दौर में, जो लोग दिनभर "गोदी मीडिया" का राग अलापकर खुद को क्रांतिकारी सिद्ध करने में लगे हैं, उनकी पत्रकारिता को देखकर निराशा होती है। न्यूज़ बताने में किसी का रुचि नहीं, सभी ज्ञान बाँटने में व्यस्त हैं। सरकार को गिराने के अलावा इनके पास कोई दूसरा समाचार स्रोत नहीं दिखता।
लेखक: दिलीप कुमार पाठक
1. आज की पत्रकारिता: एकतरफा और अभद्रता का दौर
जो लोग जनसरोकार की पत्रकारिता का दावा करते हैं, उनका कंटेंट एकतरफा होता है। ट्विटर (अब X) पर उनकी अभद्रता अपने चरम पर है। यह पत्रकारिता का सबसे निकृष्ट दौर है। माफ कीजिए, हम अपने बच्चों को अभद्र नहीं बनाना चाहते। आज की मुख्यधारा की पत्रकारिता में निष्पक्षता और शिष्टता का अभाव साफ दिखता है।
2. रवीश कुमार की पत्रकारिता: शिष्टता और सहजता का संगम
इस सबके बीच, यूट्यूब पर रवीश कुमार को सुनना आज भी सुकून देता है। ज्ञान बघारने के इस दौर में, रवीश बड़ी सहजता से, बिना अभद्रता के समाचार पढ़ते हैं। वे ज्ञान नहीं बाँटते, बल्कि तथ्यों को सामने रखते हैं। उनकी भाषायी शिष्टता तो आदरणीय है।
एक बार किसी ने रवीश से पूछा था, "सर, अगर आपकी नौकरी चली गई तो आप क्या करेंगे?" रवीश ने जवाब दिया, "देखिए, नौकरी चली गई तो एक माइक लेंगे और किसी टावर या पहाड़ पर चढ़कर न्यूज़ पढ़ देंगे, चौराहे पर पढ़ देंगे। संविधान में तो नहीं लिखा कि पत्रकार को केवल स्टूडियो में ही न्यूज़ पढ़ना है।"
वाकई, स्टूडियो छोड़ने के बाद भी रवीश पत्रकार बने हुए हैं। आज जब पत्रकारिता विलुप्त होने के कगार पर है, तब रवीश एक अपवाद हैं। यह बात मैं पूरी जिम्मेदारी से कह रहा हूँ।
3. रवीश कुमार: भारतीय पत्रकारिता की आबरू
मैं बड़े आदर के साथ कहना चाहता हूँ—श्री रवीश कुमार जी, आप भारतीय पत्रकारिता की आबरू हैं। जब इतिहास लिखा जाएगा, तब सभी का न्याय होगा। तब कहा जाएगा कि अंधकार युग में रवीश एक रोशनदान थे।
4. पाठकों से सवाल: क्या कोई और सच्चा पत्रकार है?
आप मित्रों को लगता है कि कोई ऐसा पत्रकार है, जो सचमुच समाचार पढ़ने में रुचि रखता हो, जो खुद के प्रति ईमानदार हो, तो बताइए। मैं सुनना चाहूँगा। हालांकि, भाषायी शिष्टता जरूरी है, अन्यथा कितना भी ईमानदार हो, उसे धूर्त ही कहा जाएगा।
निष्कर्ष: रवीश की पत्रकारिता एक प्रेरणा
रवीश कुमार ने दिखाया कि सच्ची पत्रकारिता क्या होती है। उनकी शिष्टता, सहजता और निष्पक्षता आज के पत्रकारों के लिए एक मिसाल है।
लेखक: दिलीप कुमार पाठक