चुनाव 2025: 4 जून से पहले ही जानें रिजल्ट का अंदाजा!

परिचय: जनता का मूड साफ है

2025 का लोकसभा चुनाव अपने अंतिम चरण में है, और 4 जून को रिजल्ट का इंतज़ार करने की जरूरत नहीं है। कुछ ज़मीनी संकेतों पर गौर करें, तो यह साफ हो जाता है कि इस बार जनता का मूड क्या है। बीजेपी के खिलाफ गुस्सा साफ दिख रहा है, और इंडिया गठबंधन एक नई उम्मीद की किरण बनकर उभर रहा है। यहाँ 11 पॉइंट्स दिए गए हैं, जो बताते हैं कि बीजेपी इस बार 180-213 सीटों पर सिमटने वाली है, और देश को इस "ग्रहण" से छुटकारा मिलने वाला है।

1. मोदी की रैलियों में भीड़ का गायब होना

मोदी जी की रैलियों में पहले जो लाखों की भीड़ दिखती थी, वह अब 5 हज़ार तक सिमट गई है। बीजेपी के प्रचार मंत्री के फेसबुक लाइव वीडियो में भीड़ को ब्लर कर दिया जाता है। फोटो अब लॉन्ग शॉट से ली जा रही हैं, ताकि असलियत छिपाई जा सके। यह साफ संकेत है कि बीजेपी का जनाधार खिसक रहा है।

2. बीजेपी कार्यकर्ताओं और वोटरों की उदासीनता

बीजेपी के कोर वोटर और कार्यकर्ता इस बार उदासीन दिख रहे हैं। ऊपर से, खुद मोदी जी कांग्रेस के मैनिफेस्टो और न्याय पत्र का खुलकर प्रचार कर रहे हैं—यह उनकी हताशा का सबूत है। जब सत्ताधारी पार्टी विपक्ष के मुद्दों को उठाने लगे, तो समझ लीजिए कि हवा का रुख बदल चुका है।

3. किसानों और युवाओं का खुला विरोध

किसानों और युवाओं ने बीजेपी का खुलकर विरोध किया है। कई गाँवों में बीजेपी नेताओं की एंट्री तक बैन कर दी गई है। 2020-21 के किसान आंदोलन का गुस्सा अभी ठंडा नहीं हुआ है, और युवा बेरोजगारी से त्रस्त हैं। यह गुस्सा वोटों में तब्दील हो रहा है।

4. SC/ST वर्ग में डर और मायावती के वोटरों का पलायन

SC/ST वर्ग में यह डर फैल गया है कि बीजेपी आरक्षण खत्म कर सकती है। इस डर ने उन्हें बीजेपी के खिलाफ वोट करने के लिए एकजुट कर दिया है। मायावती का कोर वोटर भी इस बार कांग्रेस की तरफ मुड़ रहा है, जो बीजेपी के लिए बड़ा झटका है।

5. छोटे व्यापारियों का टैक्स टेररिज्म से डर

छोटे उद्योगपति और व्यापारी अडानी-अंबानी जैसे बड़े घरानों और "टैक्स टेररिज्म" से डर रहे हैं। जीएसटी और इनकम टैक्स की सख्ती ने उन्हें परेशान कर रखा है। नतीजा? वे बीजेपी के खिलाफ वोट कर रहे हैं, क्योंकि उन्हें लगता है कि उनकी आवाज़ दबाई जा रही है।

6. जाति और धर्म से ऊपर उठकर वोटिंग

इस बार आम जनता ने जाति और धर्म के बंधनों को तोड़ दिया है। लोग बीजेपी की विभाजनकारी राजनीति से तंग आ चुके हैं। हिंदू-मुस्लिम नरेटिव इस बार फेल हो गया है, और लोग एकजुट होकर बीजेपी के खिलाफ वोट कर रहे हैं।

7. बीजेपी नेताओं का अहंकार और भीतरघात

बीजेपी के दो बड़े नेताओं का अहंकार पार्टी के लिए मुसीबत बन गया है। पुराने क्षेत्रीय क्षत्रप, जो पार्टी में हाशिए पर धकेल दिए गए, अब अपने अस्तित्व को बचाने के लिए भीतरघात कर रहे हैं। यह बीजेपी की हार का एक बड़ा कारण बन रहा है।

8. RSS की उदासीनता: मोहन भागवत को साइडलाइन

बीजेपी ने इस बार RSS को नाराज़ कर दिया। मोहन भागवत को साइडलाइन करने का खामियाजा बीजेपी को भुगतना पड़ रहा है। RSS कार्यकर्ताओं की उदासीनता साफ दिख रही है, जो पहले बीजेपी के लिए ज़मीनी स्तर पर मेहनत करते थे।

9. हरियाणा और दिल्ली में अफसरशाही का कांग्रेस को समर्थन

हरियाणा और दिल्ली जैसी जगहों पर अफसरशाही ने खुलकर कांग्रेस का समर्थन किया है। यह एक बड़ा संकेत है कि सत्ता की हवा बदल रही है। अफसरों का यह रुख बीजेपी के लिए चिंता की बात है।

10. मोदी की बौखलाहट और स्क्रिप्टेड इंटरव्यू

मोदी जी की बौखलाहट साफ दिख रही है। अपने स्वभाव के विपरीत, वे धड़ाधड़ स्क्रिप्टेड मीडिया इंटरव्यू दे रहे हैं। लेकिन लोग इन इंटरव्यू को देखने में रुचि नहीं ले रहे। यह उनकी घटती लोकप्रियता का सबूत है।

11. इंडिया गठबंधन का ज़मीनी तालमेल

सबसे बड़ी बात यह है कि इंडिया गठबंधन के कार्यकर्ताओं ने ज़मीनी स्तर पर शानदार तालमेल दिखाया है। विपक्षी दलों ने एकजुट होकर बीजेपी को कड़ी टक्कर दी है, जो इस बार के चुनाव का सबसे बड़ा गेम-चेंजर साबित हो रहा है।

निष्कर्ष: बीजेपी को झटका, देश को नई उम्मीद

इन सभी संकेतों को देखते हुए, यह साफ है कि बीजेपी 180-213 सीटों पर सिमटने वाली है। 2025 का चुनाव देश के लिए एक नई रोशनी लेकर आ रहा है। जनता ने साफ कर दिया है कि वह इस "ग्रहण" से छुटकारा चाहती है। 4 जून का रिजल्ट बस इसकी औपचारिक घोषणा करेगा।

Author - Ek Bharat

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