बुल्डोजर प्रकरण: कानून का राज या न्यायपालिका की हत्या?

कुछ राज्यों में गैरकानूनी ढंग से बुल्डोजर का इस्तेमाल लोकप्रियता का एक औजा़र बनता जा रहा है। क्या यूपी क्या एमपी प्रशासन द्वारा सरकार के इशारे पर धड़ल्ले से बुल्डोज़र का प्रदर्शन और प्रयोग हो रहा है। 

क्या प्रशासन के पास सीधे किसी आरोपी पर बुल्डोजर चलाने का अधिकार होता है?

this is an image of bulldozer used for an article about attack on judiciary by BJP in india


अब तो यूपी से शुरू हुआ बुल्डोजर माडल एमपी में भी अपनाया जा रहा है। आरोपी हैं दोषी नहीं फिर भी बुल्डोजर चलाया जा रहा है। कहीं भी किसी आरोपी का घर गिराने जैसा कोई कानून नहीं है वैसे भी उस आरोपी समेत तमाम निर्दोष भी वहीं रहते होंगे जिन्हें घर तोड़ सड़क पर ला दिया गया होगा। 

इन असंवैधानिक कृत्यों पर पुलिस वाहवाही भी बटोर रही है लेकिन वाहवाही बटोरने के चक्कर में प्रशासन द्वारा बुलडोजर की कारवाई कानून की मर्यादाओं को लांघने लगी है। 

अब तो देश भर में लगातार सवाल उठने लगे हैं कि आखिर पुलिस किस अधिकार के तहत किसी आरोपी का घर गिरा सकती है? संस्थाओं के अधिकार पर चोट क्यों? जब सड़क पर न्याय का ढोंग होगा फिर अदालते क्यों?

उत्तर प्रदेश की योगी सरकार को तो सुप्रीम कोर्ट से इसी प्रकार के एक गैरकानूनी कृत्य पर फटकार भी पडी़ जब कुछ प्रदर्शनकारियों के फोटो चौराहों पर टांग उनकी सम्पत्ति जब्त की गयी थी जबकि बाद में सरकार को सब लौटाना पडा़ ऐसी सस्ती लोकप्रियता अलोकतांत्रिक व्यवहार से अर्जित करने का क्या फायदा?

ना जाने कितने मजदूर पेशा लोग ऐसी गैरकानूनी सरकारी कार्यवाही से अनाथ हुए और केस लड़ न्याय पाते हुए कर्जदार भी हो गए। जिससे साफ होता है कि पुलिस धड़ल्ले से बुलडोजर का भी ऐसी ही बेजा इस्तेमाल कर रही है। 

अपराधी को सजा देने के आईपीसी के नियम है, दोष और फिर सजा तय करने के लिए अदालतें हैं। अगर दशकों पहले से कोई बुल्डोज़र वाला कानून होता तो उसका कभी तो रूप देखने को मिलता पर जो गैरकानूनी है वो अब होता दिख रहा है।

सरकारी जमीनों पर अवैध निर्माण व कब्जे पर तो बुल्डोजर चलना समझ में आता है पर तत्कालिक लोकप्रियता के लिए ऐसे शार्ट कट रास्ते देश व समाज को जंगलराज की तरफ ढकेल सकते हैं।

बेलगाम होते ऐसे बुल्डोजरों पर कानून का डंडा जरूरी है। 

MP के खरगोन में तो PM आवास योजना के तहत बने मकान पर भी बुलडोजर चलाया गया। 

  • क्या पीएम आवास योजना में भी अवैध निर्माण चल रहा है?
  • उसे भी क्यों गिराया गया बुल्डोजर का इतना असंवैधानिक इस्तेमाल आखिर क्यों?
  • एमपी में घटना के चंद घंटों के अंदर आरोपियों के 16 घर और 29 दुकानें ध्वस्त कर दी गयी। बूढे़-बच्चे और औरतें जिन पर कोई आरोप भी नहीं था वह बेघर हो सड़कों पर बिलखते रोते चिल्लाते रह गये आखिर इस अमानवीय कृत्य का सरकार क्या जवाब देगी?
  • आरोपियों की जांच, चार्जशीट और अदालत की कार्यवाही और निर्णय का क्या हुआ? 

लगता है सरकारों ने समझ लिया है कि देश में अदालतों की कोई जरूरत नहीं है। अब पुलिस ही दोनों काम करेगी लोकतंत्र को राजतंत्र में तब्दील करने की नंगी साजिश हो रही है। तभी तो लोगों में अब बुलडोजर की कारवाई पर सवाल उठने लगे हैं कि आखिर यूपी अथवा एमपी पुलिस किस अधिकार के तहत किसी आरोपी का घर गिरा सकती है?

लेखक - Shailendra Agrahari

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