राहुल गांधी का तानाशाही के खिलाफ संघर्ष

ED की पूछताछ और कांग्रेस का विरोध


कई लोग कहते हैं कि राहुल गांधी को ED की पूछताछ के लिए बुलाए जाने पर कांग्रेस को प्रोटेस्ट नहीं करना चाहिए। राहुल गांधी को चुपचाप ED ऑफिस जाना चाहिए और कानून को अपना काम करने देना चाहिए। यह सलाह ज्यादातर गैर-भाजपाई मित्रों की ओर से है। बाकी भाजपाई तो ‘पप्पू-पप्पू’ के नारे लगाने का कोई मौका नहीं चूकते।

1. आधारहीन आरोप: सुब्रह्मण्यम स्वामी की साजिश

यह केस सुब्रह्मण्यम स्वामी द्वारा फैलाए गए झूठ पर आधारित है। स्वामी, जो आजकल दिन-रात हीरालाल गैंग को निशाने पर रखे हुए हैं, ने इस आधारहीन मामले को हवा दी। लेकिन यह विरोध राहुल गांधी को परेशान करने के कारण नहीं है। यह विरोध उस गुस्से का प्रतीक है, जो तानाशाह के खिलाफ है।

2. राहुल गांधी की छवि: पप्पू बनाने की साजिश

2010 के एक सर्वे में देश के लोग राहुल गांधी को प्रधानमंत्री देखना चाहते थे। लेकिन कुछ ही दिनों बाद, एक बलात्कारी पाखंडी, तथाकथित गॉडमैन आसाराम ने राहुल गांधी को ‘पप्पू’ कहकर मज़ाक उड़ाया। इसके बाद एक कुटिल षड्यंत्रकारी गैंग ने लोकपाल के नाम पर दिल्ली में मीडिया (NDTV सबसे आगे) का सहारा लेकर हवा फैलाई कि इस देश में भ्रष्टाचार की जड़ गांधी परिवार और कांग्रेस है।

3. अन्ना आंदोलन: सियासी खेल की शुरुआत

अन्ना आंदोलन में अन्ना हजारे और केजरीवाल की तस्वीरों को गांधी और नेहरू की तस्वीरों के साथ मिलाकर देश का भविष्य बताया जाने लगा। मूर्ख कांग्रेसी आने वाले खतरे से अनजान रहे और वक्त की नब्ज़ नहीं पकड़ पाए। उधर, सोशल मीडिया पर केजरीवाल के साथ-साथ धीरे-धीरे मोदी उभरने लगे। कुछ ही दिनों में केजरीवाल को साइडलाइन कर दिया गया। डबल A (अन्ना और अरविंद) कन्विंस हो गए कि सबसे ईमानदार ‘बिजनेस डिवेलपमेंट मैनेजर’ मोदी होंगे। इसके बाद मोदी का प्रोजेक्शन शुरू हो गया।

4. धर्म की अफीम: सत्ता का खेल

इसी बीच, धर्म और योग की चटनी बनाकर माल बेचने वाले सलवारी ने भारत स्वाभिमान दल बनाकर प्रधानमंत्री बनने का ख्वाब देखना शुरू किया। उसे भी सेट कर लिया गया। धर्म की अफीम दिमाग में चढ़ चुकी थी। सत्ता बदल गई। केजरीवाल ने अपनी सबूतों की फाइलें और लोकपाल की मांग को अपने मफलर में छुपाकर सुला दिया।

5. तानाशाही का डर: राहुल का अकेला संघर्ष

पिछले 8 सालों से यह अफीम बढ़ती जा रही है और अफीमचियों की संख्या भी। बड़े-बड़े हाथी-हथिनी सरेंडर कर गए। ED का डर हो, CBI का, या पेगासस का—सबने घुटने टेक दिए। आँखें बंद कर लीं। लेकिन अकेले राहुल गांधी न डरे, न झुके। साँच को आँच नहीं।

सड़कों पर उतरने का संदेश

आज राहुल गांधी सड़कों पर निकले हैं, यह बताने के लिए कि तुम अपने दिन गिनना शुरू कर दो। हमें पता है कि तुम परेशान करने के अलावा कुछ नहीं कर पाओगे। हम चाहते हैं कि तुम लड़ो, इसी तरह वार करो। कभी न कभी सामने आना ही होगा।
लेखक: विजय शुक्ला
संकलक: अनुपम गुप्ता

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