शब्बन चच्चा का सवाल
आज शब्बन चच्चा से पूछा कि चच्चा, देश में इतनी महंगाई, बेरोजगारी, भ्रष्टाचार है, लोग परेशान हैं, फिर भी बीजेपी क्यों जीत रही है और कांग्रेस क्यों हार रही है?
चच्चा बोले—बेटा, एक बात बताओ, अपने देश में हिजड़ों की क्या स्थिति है? क्या लोग उन्हें मान-सम्मान देते हैं? क्या लोग उन पर भरोसा करते हैं? क्या लोग उन्हें सत्ता सौंप सकते हैं?
मैंने कहा—नहीं चच्चा, बिल्कुल नहीं। हम भारतीय बीच वालों पर भरोसा नहीं करते। हम या तो औरत को मान-सम्मान देते हैं, या मर्द को। बीच वाला कितना भी नेक, ईमानदार, संस्कारी हो, उस पर भरोसा नहीं करते।
1. कांग्रेस का कन्फ्यूजन: नरम हिंदुत्व की पिच
चच्चा बोले—बस यही दिक्कत कांग्रेस के साथ है। कांग्रेस अभी तक यह तय नहीं कर पा रही कि वह हिंदुत्व की पिच पर खेले या सेकुलर बनकर विकास के मुद्दे पर। इसी कन्फ्यूजन में वह नरम हिंदुत्व की पिच पर खेलती है और हार जाती है।
जब लोगों को हिंदुत्व ही चुनना होगा, तो वे नरम हिंदुत्व क्यों चुनेंगे, जबकि उनके पास बीजेपी के रूप में कट्टर हिंदुत्व का विकल्प मौजूद है?
2. उदाहरण: अखिलेश और गहलोत की हार
उत्तर प्रदेश में अखिलेश यादव भी इसी बीच के चक्कर में हारे। उन्होंने फरसा लेकर और मंदिर की राजनीति करके नरम हिंदुत्व के मुद्दे पर चुनाव लड़ा और हार गए। अगर वे सिर्फ विकास और रोजगार के मुद्दे पर लड़ते, तो शायद जीत सकते थे। जनता ने सोचा—जब हिंदुत्व के मुद्दे पर ही वोट करना है, तो कट्टर हिंदू योगी को ही वोट क्यों न करें?
राजस्थान में हाल के दंगे गहलोत सरकार के नरम हिंदुत्व का नतीजा हैं। दंगों के बाद भी सरकार ने दोषियों पर कार्रवाई नहीं की, क्योंकि उसे डर था कि हिंदू नाराज हो जाएँगे। गहलोत सरकार नरम हिंदुत्व की पिच पर खेल रही है और इस बार के चुनाव हार जाएगी।
3. गुजरात चुनाव: राहुल का हिंदू कार्ड
पिछले गुजरात चुनाव में भी कांग्रेस जीता हुआ मैच हार गई। राहुल गांधी के सलाहकारों ने जनता से जुड़े मुद्दे उठाने की जगह राहुल को जनेऊ पहनाकर मंदिर-मंदिर घुमाया और उन्हें हिंदू साबित करने में सारी ऊर्जा लगा दी।
4. केजरीवाल का मॉडल: साफ रास्ता
केजरीवाल ने दिल्ली और पंजाब में जीत हासिल की, क्योंकि उसने बीच का रास्ता नहीं चुना। वह पूरी तरह विकास के मुद्दे पर चुनाव लड़ता है। जनता के सामने दो साफ चेहरे होते हैं—एक कट्टर हिंदुत्व का, दूसरा विकास का। उसे किसी एक को चुनने में कन्फ्यूजन नहीं होता।
5. संघ का रोडमैप: कांग्रेस मुक्त भारत
चच्चा बोले—अगर कांग्रेस अभी भी नहीं सुधरी, तो खत्म हो जाएगी। संघ ने अपने दो संगठनों को अलग-अलग चेहरा देकर मैदान में उतार दिया है। कट्टर हिंदुत्ववादी सरकार चाहिए, तो बीजेपी को वोट दो। विकासवादी सरकार चाहिए, तो आम आदमी पार्टी को वोट दो। यानी कांग्रेस मुक्त भारत का रोडमैप तैयार हो चुका है।
निष्कर्ष: कांग्रेस का भविष्य
यकीनन चच्चा की बातों में दम है। कांग्रेस अगर खत्म नहीं होना चाहती, तो या तो कट्टर हिंदुत्ववादी पार्टी बन जाए, या फिर विकासवादी। नरम हिंदुत्व की सोच कांग्रेस को विलुप्त कर देगी।
कांग्रेस जब तक खुद को बीच वाला बनाकर रखेगी, चुनाव हारती रहेगी। क्योंकि भारत की जनता हिजड़ों को पसंद नहीं करती—उसे या तो मर्द चाहिए, या औरत।
#कांग्रेस_क्यों_हार_रही_है
अकरम खान
👉इस लेख का मूल संस्करण पढने के लिए यहाँ पर क्लिक करके पढ़ सकते हैं 👈