राहुल की दादी, राहुल का चाचा, राहुल की इमरजेंसी
भ्रांतियां और तथ्य
प्रश्न - जब देश चीन से युद्ध झेल रहा था तब विपक्ष देश को अंदर से तोड़ने की साजिश में लगा था !! 2
प्रश्न - CIA agent in indira’s cabinet ? 2
प्रश्न - इमरजेंसी लगने की असल सच्चाई क्या है ? 3
प्रश्न - इंदिरा के निर्वाचन खारिज किये जाने की वजह क्या बनी ? 3
प्रश्न - इमरजेंसी लगाने की वजह भारत को अस्थिर करने के लिए अमेरिकी साजिश !! ?? 4
इमरजेंसी का दौर कुछ प्रतीकों के गिर्द सिमटा हुआ है। राहुल की दादी द्वारा संविधान का निलंबन, राहुल के चाचा का नसबंदी अभियान, प्रेस सेंसरशिप, विपक्ष को मीसा में जेल भरना, तुर्कमान गेट .. आदि आदि
इनमे से कोई भी बात असत्य नही। पर क्रिया-प्रतिक्रिया की थ्योरी से हजारों हत्याओं, बलात्कार, और दंगो को जस्टिफाई करने वाले दौर में, इमरजेंसी की क्रिया प्रतिक्रिया को समझना भी तो.. बनता है!!
--
प्रश्न - जब देश चीन से युद्ध झेल रहा था तब विपक्ष देश को अंदर से तोड़ने की साजिश में लगा था !!
तो राहुल की दादी जब पीएम बनी, वह दौर हिंदुस्तान का सबसे तर्बुलेन्ट पीरियड था। चीन से पांच साल पहले हारे थे, पाकिस्तान से हारते हारते बचे थे। बाप जवाहरलाल ने 16 साल राजनीति किसी रोमांटिक कविता के अंदाज में करी थी। टू-मच डेमोक्रेसी का दौर था।
जी हां, “टू मच डेमोक्रेसी” उसे कहते है जब चीन अटैक के वक्त भरी सन्सद में अटल, भारत की सरकार के खिलाफ बोलें। अखबार सरकार के खिलाफ लिखें। मिजो, नगा, कुकी, सिक्किम, द्रविण के लोग अपने अपने देश स्वतंत्र करने के चक्कर लगे थे। चुनाव जीतकर भी भारत के संविधान के तहत शपथ नही लेने का दम भरें।
इस पर संघ-जनसंघ अपनी अलग खिचड़ी पका रहे हों। जो भीड़ का हमला अमेरिकी सन्सद में देखकर आप दांतों तले उँगली दबा रहे हैं, भारत मे 1966 में हो चुका है। घुसने वाले गौ रक्षक थे। सिंधियायों के ग्वालियर से ढोकर लाये गए थे। गूगलवा से पूछिए डिटेल देगा। ऑप् इंडिया इसे हजारों साधुओं के कत्लेआम के रूप में प्रचारित करता है। असल मे 40-50 घायल होने की जानकारी स्क्रॉल.इन पर मिलती है।
--
प्रश्न - CIA agent in indira’s cabinet ?
तो ऐसे दौर में इंदिरा को कमान मिली, लेकिन पार्टी के बुड्ढे खिलाफ थे। दादी ने पार्टी तोड़कर सरकार बचाई। रजवाड़े मिलकर एक अलग खिचड़ी पका रहे थे, प्रिवीपर्स खत्म करके उन्हें निपटाया। इतने में 71 का युध्द आ गया।
इससे निकले तो अकाल, इन्फ्लेशन, बंगलादेशी शरणार्थी और तमाम समस्याएं... जो युध्द का बाई प्रोडक्ट होती हैं। एक और भी बाई प्रोडक्ट था, रिचर्ड निक्सन से दुश्मनी, याने- सीआईए से दुश्मनी।
इंदिरा की कैबिनेट में सीआईए एजेंट कौन था, नाम लिए बगैर उसकी तमाम डिटेल्स अमेरिकन डिक्लाइसिफाइड डॉक्यूमेंट में उपलब्ध है। गूगलवा से पूछिए डिटेल देगा। निशान ए पाकिस्तान हासिल करने वालों की सूची भी खंगालिए।
---
प्रश्न - इमरजेंसी लगने की असल सच्चाई क्या है ?
आम धारणा है कि इलाहाबाद कोर्ट ने इंदिरा की सांसदी रद्द कर दी इसलिए इमरजेंसी लगी। सच ये है कि इलाहाबाद कोर्ट के फैसले पर सुप्रीम कोर्ट ने रोक लगा दी थी, और सांसदी जाने के बाद भी इंदिरा की कुर्सी 6 माह तक सुरक्षित थी। सरकार के चार साल तो गुजर ही चुके थे। वह सिम्पली 6 माह और गुजार कर इलेक्शन घोषित कर सकती थी।
जो घटनाक्रम मैं इमरजेंसी के पहले के बता रहा हूँ, वो असल कन्टेक्स्ट है जो लोगो को नही पता। इसलिए कि हमारा इतिहास का कोर्स 1947 में खत्म हो जाता है। यह जानिए।
तो जानिए की 71 के युद्ध के इकॉनमी पर पड़े दुष्प्रभावों से जनता त्रस्त थी। (हम आज फिर से लड़ने का जोश दिखाते है, मगर उसके परिणाम झेलने का स्टमक न आज है, न तब था।) जेपी सरकार के "मिस- मैनेजमेंट" के खिलाफ सम्पूर्ण क्रांति कर रहे थे। रेलें रोकी जा रही थी, डाइनामाइट बरामद हो रहे थे, हड़तालें हो रही थी। देश का रेलमंत्री बम विस्फोट में मार डाला गया। इन घटनाओं को मीडिया का पूरा कवरेज और समर्थन हासिल था।
--
प्रश्न - इंदिरा के निर्वाचन खारिज किये जाने की वजह क्या बनी ?
सांसद विधायक घेरे जा रहे थे। यह अशांति का वह दौर था, जिसे भारत ने कभी देखा नही। कांग्रेस पार्टी के भीतर, इस मौके का फायदा लेने के लिए जीभ लपलपाने वाले कम नही थे। उनके गणित अलग चल रहे थे। राजनारायण ने इंदिरा को कोर्ट में उलझा लिया।
![]() |
at the opening of the National Museum's "Handicrafts from India" exhibition |
इंदिरा का निर्वाचन यशपाल कपूर की सेवा लेने के कारण खारिज हुआ था। कपूर सरकारी नौकरी से इस्तीफा देकर इंदिरा के चुनावी एजेंट बने, कोर्ट ने पाया कि इस्तीफा मंजूर होने के तीन दिन पहले ही वे इंदिरा से जुड़ गए। तो टेक्निकली वे सेवा में रहते हुए इंदिरा की मदद कर रहे थे।
यह ग्राउंड बना, सरकारी तन्त्र के दुरपयोग का। इस आधार पर सांसदी खारिज हुई। इसे अगर दुरुपयोग मानते है, तो आजकल क्या होता है?? महादुरुपयोग?
--
प्रश्न - इमरजेंसी लगाने की वजह भारत को अस्थिर करने के लिए अमेरिकी साजिश !! ??
अगर पढ़े लिखे हैं, तो यह बताइये की कोई हाईकोर्ट जज निर्वाचन खारिज करते हुए क्या यह भी अपने फैसले में आदेश सकता है, की कोई पोलिटीकल पार्टी 15 दिन में अपना नया नेता चुने?? क्या यह उसके केस के ज्यूरिडिक्शन में आता था ??? उसने लिखा। हालांकि सुप्रीम कोर्ट ने इस बात को पलट दिया। इंदिरा के पास तुरन्त सरकार खोने का खतरा नही था।
मगर इस फैसले ने यही साबित किया कि ज्यूडिशियरी समेत पार्टी के भीतर, पार्टी के बाहर, सड़कों पर एक व्यापक षड्यंत्र है। इन घटनाओं में सीआईए के भी पुख्ता तार जुड़े पाए जा रहे थे।
याद रहे। इंदिरा की कुर्सी पर इमिडीएट थ्रेट नही थी। इंदिरा ने इमरजेंसी घोषित की उस रात को, जिस दिन रैली करके जेपी ने सेना और पुलिस को विद्रोह का आव्हान किया।
--
विरोध, शोरगुल एकदम से शांत हो गया। मगर इमरजेंसी, लोकतंत्र की हत्या थी। मैं इसके लिए इंदिरा को दोषमुक्त नही करता। मगर ऐसा भी नही की एक दिन अचानक इंदिरा को कुछ तूफानी करने का मन आया, और इमरजेंसी लगा दी। क्या इंदिरा तानाशाह बनना चाहती थी? मैं नही मानता।
याद रखिये। 19 महीने के बाद इमरजेंसी हटाने की मजबूरी, राहुल की दादी को नही थी। इमरजेंसी उन्होंने स्वेच्छा से हटाई। चुनाव करवाये। हारी, तो गद्दी खाली कर वापस जनता का विश्वास जीतने सड़कों पर चल पड़ी। उस पीढ़ी ने, जिसने सबकुछ आंखों से देखा था, वह समझती थी। तीन साल में इंदिरा वापस उसी जगह बिठाई गयी। चुनकर, प्रचंड बहुमत से।
---
मेरी बात झूठ लगे, तो पढिये। पोस्ट की हर लाइन क्रॉस चेक कीजिये। फिर भी डाऊट हो, तो लौटिए। उत्तर दूंगा।
फोटो राहुल की दी है। इसलिए कि ये कर्म राहुल का है, की वह खुलकर इन विषयों पर बात करे। चाचा दादी बाप के कर्मो का भार उस पर डाला जाता है। जो गलती हुई, वो आपने नही की है। कारण बताइये, रीजनिंग दीजिये, औऱ इसके बावजूद भी माफी मांग ले। माफी मांगने में हर्ज नही, आपकी मां ने सिखों से मांगी है।
राहुल की वंशवादी ज़िम्मेदारी है कि वह इतिहास पड़ी धूल को साफ करें। उस धूल पर लिखे, झूठ के हर्फ़ों को फूंक कर उड़ा दे। चुनाव जीतना हारना अलग मसला है। मगर देश की युवा पीढ़ी को आजादी के बाद के चैलेंजेस का अहसास हो।
संघ और उसके चेले चपाटी जानते हैं कि देश का युवा निर्णय करने में सक्षम है, उसे तथ्यों की जरुरत है। तो बचने के लिए, इतिहास के हर्फ़ों को छुपाने के लिए आईटी सेल, ऑप् इंडिया, कुलश्रेष्ठ और गोस्वामी के मुंह से निकली भाप की जरूरत है।