धार्मिक ध्रुवीकरण के खिलाफ एकजुटता की राह, भारत जोड़ो यात्रा

राहुल गांधी की पदयात्रा और कांग्रेस की हैरानी !

राहुल गांधी की "भारत जोड़ो यात्रा" की सफलता से शायद कांग्रेसजन भी अचंभित हैं। लंबे समय बाद कोई राष्ट्रीय स्तर का नेता सड़कों पर दिखाई दे रहा है। इस यात्रा का नाम "भारत जोड़ो यात्रा" है, और देश के लिए यही बेहतर होगा कि इस दौरान केवल देश को जोड़ने की बात हो। मन में लालच जरूर आता है कि इस यात्रा का उपयोग कांग्रेस की राजनीति को चमकाने के लिए किया जाए, लेकिन यदि वास्तव में देश का हित साधना है, तो इस यात्रा के दौरान राजनीति की बात नहीं होनी चाहिए।

1. धार्मिक ध्रुवीकरण: बीजेपी की ताकत और उसका जवाब

बीजेपी की राजनीति की मुख्य शक्ति धार्मिक ध्रुवीकरण है। यदि इस पर सशक्त प्रहार किया जाए, तो देश एक बड़े खतरे से बाहर आ सकता है। धार्मिक नफरत का माहौल देश की एकता के लिए सबसे बड़ा खतरा है, और इस यात्रा को इसी मूल समस्या को संबोधित करना चाहिए।

2. गांधीवादी मार्ग: कांग्रेस को धर्म की राह पर लौटना होगा

महात्मा गांधी एक प्रार्थना सभा में ऊँचे मंच पर बैठे हुए, उनके साथी-सहयोगी नीचे बैठकर प्रार्थना में भाग लेते हुए, भारत जोड़ो यात्रा के गांधीवादी मार्ग को दर्शाते हुए।
महात्मा गांधी की प्रार्थना सभा: भारत जोड़ो यात्रा के लिए गांधीवादी मार्ग की प्रेरणा।

स्तंभकार स्वामीनाथन अय्यर ने हाल ही में लिखा कि इस यात्रा के दौरान महात्मा गांधी की तरह हर रोज प्रार्थना सभाओं का आयोजन होना चाहिए। गांधी के बाद नेहरू के समय में एक भूल हुई—कांग्रेस को धर्महीन दल के रूप में पेश करना। गांधीजी संप्रदायिक नहीं थे, लेकिन धार्मिक जरूर थे। कांग्रेस को एक बार फिर उसी मार्ग पर चलना होगा।
धर्म इस देश के नागरिकों की रगों में बसा है। इसे त्यागने का मतलब देश की भावनाओं को अस्वीकार करना है। स्वामीनाथन सुझाते हैं कि यात्रा के दौरान "रघुपति राघव राजा राम, ईश्वर अल्लाह तेरो नाम" और "वैष्णव जन तो तेने कहिए" जैसे भजन गूंजने चाहिए। इकबाल का "सारे जहाँ से अच्छा हिंदोस्ताँ हमारा" सुनाई देना चाहिए। आधुनिकता का स्पर्श देने के लिए "हम होंगे कामयाब एक दिन" को सामूहिक स्वर में गाया जाना चाहिए। साथ ही, गांधीजी का प्रिय भजन "Abide With Me" भी सुनाई देना चाहिए।

3. बिना कहे देश जोड़ने की शक्ति

इन प्रार्थनाओं और भजनों के माध्यम से बिना कुछ कहे देश को जोड़ने का काम शुरू हो जाएगा। धार्मिक उन्माद फैलाने वाली शक्तियों का पराभव शुरू होगा। यह यात्रा नफरत के माहौल को खत्म करने का एक मौका है, और इसे राजनीतिक जीत-हार से ऊपर रखना होगा।

4. रहिम का संदेश: मूल को सींचने की जरूरत

रहीम दास का दोहा इस संदर्भ में बहुत प्रासंगिक है:
"एकै साधे सब सधै, सब साधे सब जाय।
रहिमन मूलहिं सींचिबो, फूलै फलै अघाय॥"

मूल समस्या देश में आपसी नफरत का माहौल है। राजनीतिक जीत-हार तो चलती रहेगी, लेकिन देश को हारने नहीं देना चाहिए। इस यात्रा का असली मकसद यही होना चाहिए—नफरत को खत्म कर एकता की जड़ों को सींचना।

निष्कर्ष: देश को जोड़ने की सच्ची पहल

"भारत जोड़ो यात्रा" एक मौका है देश को धार्मिक ध्रुवीकरण के जहर से मुक्त करने का। गांधीवादी तरीके से प्रार्थना सभाओं और एकजुटता के भजनों के जरिए यह यात्रा नफरत को खत्म कर सकती है। कांग्रेस को इस दौरान राजनीति से ऊपर उठकर देशहित को प्राथमिकता देनी होगी, तभी यह यात्रा अपने नाम को सार्थक कर पाएगी।

Author - Bharat Jain

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