भाषण में छुपे झूठ
प्रधानमंत्री के हालिया भाषण में कई दावे किए गए, जो तथ्यों से परे हैं। लेखक लक्ष्मीप्रताप सिंह ने इन दावों की सच्चाई की पड़ताल की है, खासकर कोरोना काल से जुड़े मुद्दों पर। इस लेख में सात प्रमुख झूठों को उजागर किया गया है, जो जनता को गुमराह करने का प्रयास प्रतीत होते हैं। अधिक जानकारी के लिए लेखक ने एक वीडियो (https://youtu.be/8lTnvckX7TY) भी साझा किया है।
1. गरीब कल्याण अन्न योजना: 80 करोड़ लोगों को अन्न?
प्रधानमंत्री ने दावा किया कि "प्रधानमंत्री गरीब कल्याण अन्न योजना" के तहत 80 करोड़ भारतवासियों को अन्न दिया गया। इसका मतलब है कि भारत की आधे से ज्यादा जनसंख्या को अन्न मिला। लेकिन यह दावा संदिग्ध है। कौन सी एजेंसी इसकी पुष्टि कर सकती है? इसकी पारदर्शी जानकारी जनता के सामने क्यों नहीं लाई गई? यह कोरोना काल का सबसे बड़ा झूठ प्रतीत होता है।
2. 2014 से पहले वैक्सीन कवरेज नहीं था?
प्रधानमंत्री ने कहा कि 2014 से पहले भारत में वैक्सीन कवरेज नहीं था और अगर उस समय कोरोना आता, तो दशकों लग जाते। यह दावा गलत है। पल्स पोलियो अभियान इसका जीवंत उदाहरण है, जब सीमित सुविधाओं, तकनीक, और ट्रांसपोर्ट के बावजूद पूरे देश में एक साथ अभियान चलाया गया। आज, इतने संसाधनों और तकनीक के बाद भी देशव्यापी वैक्सीनेशन ड्राइव में सरकार विफल रही है।
3. वैज्ञानिकों की मदद से वैक्सीन डेवलपमेंट?
प्रधानमंत्री ने दावा किया कि देश के वैज्ञानिकों ने शोध करके वैक्सीन डेवलप की, जिसमें उनकी सहायता थी। लेकिन सच्चाई यह है कि सीरम इंस्टीट्यूट और भारत बायोटेक ने फार्मूला के लिए मुनाफा साझा किया। रूस की स्पुतनिक वैक्सीन को सबसे अंत में प्राथमिकता दी गई, जबकि रूस शुरू से फार्मूला मुफ्त साझा करने को तैयार था। इस तथ्य को छुपाया गया।
4. 60% वैक्सीन भारत में बनती है, लेकिन निर्यात क्यों?
प्रधानमंत्री ने यह नहीं बताया कि विश्व की 60% वैक्सीन भारत में बनती है। फिर भी, भारत के नागरिकों को वैक्सीन उपलब्ध नहीं हुई, क्योंकि सरकार ने इसका निर्यात विदेशों के लिए खोल दिया। यह निर्णय जनता के हितों के खिलाफ था, जिसका जिक्र भाषण में नहीं हुआ।
5. वैक्सीन की कमी: राज्य सरकारों की अनदेखी
18+ आयु वर्ग के लिए वैक्सीनेशन शुरू होने के बाद भी स्लॉट नहीं मिल रहे थे। राज्य सरकारों को पर्याप्त वैक्सीन नहीं दी गई। प्राइवेट अस्पतालों में वैक्सीन उपलब्ध थी, लेकिन सरकारी अस्पतालों में नहीं। इस असमानता पर प्रधानमंत्री ने कोई बयान नहीं दिया।
6. मुफ्त वैक्सीन का वादा: हकीकत क्या?
प्रधानमंत्री ने चार बार जोर देकर कहा कि सभी को मुफ्त वैक्सीन मिलेगी। लेकिन जब सरकारी अस्पतालों में वैक्सीन उपलब्ध ही नहीं है, और प्राइवेट अस्पतालों में पैसे देकर लेनी पड़ रही है, तो जनता मजबूरी में पैसे खर्च करेगी। यह “मुफ्त वैक्सीन” के दावे को खोखला साबित करता है।
7. ऑक्सीजन की कमी: सरकार ने क्या किया?
प्रधानमंत्री ने कहा कि 100 सालों में सबसे ज्यादा ऑक्सीजन की जरूरत पड़ी। लेकिन उन्होंने यह नहीं बताया कि इस कमी को पूरा करने के लिए सरकार ने क्या कदम उठाए। क्या नए ऑक्सीजन प्लांट्स बनाने के लिए टैक्स छूट दी गई? क्या उत्पादन बढ़ाने के लिए ठोस नीतियाँ बनाई गईं? इस पर कोई जवाब नहीं दिया गया।
लोकप्रियता की चादर में पंचर
प्रधानमंत्री का यह संबोधन उनकी घटती लोकप्रियता को बचाने का असफल प्रयास था। भाषण में झूठे दावों के जरिए जनता को गुमराह करने की कोशिश की गई, जो तथ्यों की कसौटी पर खरे नहीं उतरे। जनता को सच्चाई जानने का हक है। #कालचक्र
लक्ष्मीप्रताप सिंह
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