दिल्ली की सियासत: कांग्रेस की हार में "आप" की भूमिका और बीजेपी की जीत

कांग्रेस की हार और "आप" की भूमिका


भले ही दिल्ली में कांग्रेस को एक भी सीट न मिली हो, लेकिन यह कहना गलत होगा कि कांग्रेस हार गई है। असल में, कांग्रेस उन ताकतों से जीती है, जिन्होंने उसे हराने की कोशिश की। आज अगर आम आदमी पार्टी (AAP) अपनी हार का ठीकरा कांग्रेस पर फोड़ रही है, तो वह यह स्वीकार कर रही है कि कांग्रेस कमजोर या नगण्य नहीं, बल्कि एक गेम-चेंजर थी। लेकिन यह भी सच है कि कांग्रेस आज जो हार का सबसे बुरा दौर देख रही है, उसका सबसे बड़ा कारण AAP ही है।

1. AAP का उदय: कांग्रेस की छवि पर हमला

AAP ने केंद्र से कांग्रेस को हटाने, उसकी छवि को ध्वस्त करने, और कई राज्यों में उसकी हार सुनिश्चित करने में अहम भूमिका निभाई। इसके चलते बीजेपी को सरकार बनाने का मौका मिला। AAP का यह प्रभाव अन्ना हजारे के आंदोलन से शुरू हुआ, जिसे अरविंद केजरीवाल और कई संपन्न लोगों ने बीजेपी/संघ के साधनों और सहायता से खड़ा किया। यह बात राजनीतिक जानकारों को पता है, और बाद में प्रशांत भूषण ने भी इसे स्वीकार किया।
इस आंदोलन के जरिए जनमानस में कांग्रेस की छवि को बदनाम करने का सिलसिला शुरू हुआ। झूठे और अतिश्योक्तिपूर्ण नारों के जरिए जनता के मन में भ्रम और गुस्सा भड़काया गया। रोबर्ट वाड्रा, 2G-4G, "जीजाजी", और कोल स्कैम जैसे काल्पनिक आरोप सिस्टमेटिक तरीके से कांग्रेस पर थोपे गए। नतीजतन, कांग्रेस की छवि खराब हुई, और दिल्ली में वह शून्य पर सिमटती चली गई, जबकि AAP मजबूत होती गई।

2. गठबंधन की कोशिश: AAP की महत्वाकांक्षा

कांग्रेस ने राष्ट्रीय स्तर पर AAP के साथ गठबंधन किया, जिसका नतीजा 2024 के लोकसभा चुनावों में देखने को मिला—मोदी और बीजेपी का "400 पार" का दावा धराशायी हुआ, और उनकी अल्पमत की सरकार बनी। इसी सहयोगी शक्ति को बनाए रखने की प्रतिबद्धता के तहत कांग्रेस दिल्ली में भी AAP से गठबंधन करना चाहती थी। लेकिन AAP की महत्वाकांक्षा, कांग्रेस को नुकसान पहुँचाकर लाभ लेने की उसकी राजनीति, और कांग्रेस को कमजोर समझने के उसके भ्रम ने उसका बंटाधार कर दिया।
AAP ने कांग्रेस के गठबंधन के लिए बढ़ाए गए हाथ को ठुकरा दिया। नतीजतन, कांग्रेस को दिल्ली में अपनी राजनीतिक जमीन वापस हासिल करने के लिए अकेले मैदान में उतरना पड़ा। लोकतंत्र में हर किसी को चुनाव लड़ने का अधिकार है, और कांग्रेस ने ऐसा ही किया। लेकिन इसका परिणाम AAP की करारी हार के रूप में सामने आया।

3. दिल्ली में कांग्रेस का शून्य: AAP की साजिश

आजादी के आंदोलन और राष्ट्र निर्माण की प्रतिबद्धता से जन्मी कांग्रेस, जो सौ साल से देश की सबसे बड़ी पार्टी रही, उसे दिल्ली में शून्य पर लाकर खड़ा कर दिया गया। यह काम AAP ने किया। AAP की इस राजनीति ने न केवल कांग्रेस को कमजोर किया, बल्कि खुद उसके राजनैतिक भविष्य को अंधेरे में धकेल दिया। देशहित, विकास, न्याय और राजनैतिक तार्किकता को अनदेखा कर AAP ने कांग्रेस को हाशिए पर पहुँचा दिया।

AAP की हार और बीजेपी की जीत

AAP की हार ने यह साबित कर दिया कि कांग्रेस को कमजोर समझना उसकी सबसे बड़ी भूल थी। दिल्ली में बीजेपी की सरकार बनने के पीछे AAP की गलत रणनीति और कांग्रेस के साथ गठबंधन न करने का फैसला अहम कारण रहा। कांग्रेस भले ही हाशिए पर दिख रही हो, लेकिन उसकी ताकत और प्रासंगिकता को नकारा नहीं जा सकता।

लेखक - Nagesh Salwan

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