दान या भ्रष्टाचार का खेल?
नेहरू से लेकर मनमोहन सिंह तक भ्रष्टाचार के महासागर में गोते लगाने वाली कांग्रेस किस मुँह से शिवराज सरकार के परिवहन और राजस्व मंत्री गोविंद सिंह राजपूत पर कीचड़ उछाल रही है?
ससुराल पक्ष से दान में मिली 50 एकड़ जमीन को राजपूत जी ने राष्ट्रहित में स्वीकार किया है, ताकि वे बिकनी और बेशर्म रंग का विरोध कर देशभक्ति जगा सकें।
1. दान की कहानी: भोपाल-सागर रोड की जमीन
मंत्री जी पर आरोप है कि उन्होंने भोपाल-सागर रोड पर बसे गांव भापेल में एक अच्छी लोकेशन की करोड़ों रुपये कीमत वाली जमीन दान में हासिल की। सागर निवासी कल्पना सिंघई की यह जमीन मंत्री जी के साले हिमाचल सिंह और करतार सिंह ने 8 सितंबर 2021 को खरीदी। इसके बाद खसरा नंबर 1322, 1323 और 1327 की इन जमीनों को अपनी बहन सविता, जीजा गोविंद, और भांजे आदित्य को दान में दे दिया। यह दान 25 जुलाई, 3 अगस्त, और 29 अगस्त की अलग-अलग तारीखों पर किया गया।
2. आरोपों का सिलसिला: साले साहब की सफाई
आरोप हैं कि यह जमीन खरीदने में साले साहब सक्षम नहीं थे। साथ ही, सिंचित जमीन की रजिस्ट्री को असिंचित बताकर कराया गया। हालांकि, साले साहब का कहना है कि उन्होंने अपना मकान बेचकर यह जमीन खरीदी थी।
3. राजनीतिक पैंतरेबाजी: कांग्रेस से बीजेपी तक
पुराने कांग्रेसी रहे गोविंद सिंह राजपूत सिंधिया जी के भक्त हैं। तुलसी पहलवान के साथ हुई डील के तहत कमलनाथ सरकार को धाराशायी कर वे बीजेपी में शामिल हुए। नतीजतन, राजस्व और परिवहन जैसे कमाऊ विभाग उनके पास रहे, और शिवराज भी इन्हें बदल नहीं पाए। गोविंद जी का रुतबा और रसूख कायम है।
4. राष्ट्रहित का दान: बीजेपी का तर्क
बीजेपी और समर्थक खुलकर क्यों नहीं कहते कि साले साहब ने जीजा जी को जो जमीन दान में दी, उसे राष्ट्रहित माना जाए? वैसे भी, गोविंद जी ने कोई दहेज नहीं लिया था। ससुराल पक्ष को सालों बाद क्षतिपूर्ति की नेक याद आई। मंत्री जी सफाई में कहते हैं कि उनका ससुराल पक्ष धन्ना सेठों का रहा है, जिनके पास सैकड़ों एकड़ जमीनें हैं। उसमें से 25-50 एकड़ दामाद को दान कर दिया, तो कौन सा आसमान टूट पड़ा? यह तो एकदम फेयर डील है।
5. विपक्ष का हमला: दोहरा मापदंड
अब यह बात अलग है कि यदि राजपूत जी कांग्रेसी ही रहते, या यह मामला आप पार्टी सहित किसी विपक्षी नेता का होता, तो आयकर, ईडी, और सीबीआई जैसी जांच एजेंसियाँ पिल पड़तीं। विधानसभा में कांग्रेसियों ने मंत्री जी पर व्यंग्य बाण छोड़े और 50 एकड़ दान की रजिस्ट्री से शासन को हुई स्टाम्प ड्यूटी की आय के फायदे भी गिनाए।
निष्कर्ष: बीजेपी का पवित्र चेहरा
कुछ दिलजलों ने मंत्री जी के इस दान का कच्चा चिट्ठा पार्टी आलाकमान से लेकर दिल्ली तक पहुँचा दिया। मगर जैसा कि स्वयंसिद्ध है, बीजेपाई कभी भ्रष्टाचार नहीं करते। वे दूध के धुले, अत्यंत पावन-पवित्र लोग हैं, जो 24 घंटे समाज के अंतिम व्यक्ति की सेवा-चाकरी में लगे रहते हैं। इस तपस्या के प्रतिफल में अगर कोई दान दे भी दे, तो उसे देशहित समझा जाए। लिहाजा, किसी को कोई लोड लेने की जरूरत नहीं। फिलहाल पठान को फ्लॉप करवाने पर ही फोकस रखा जाए। जय श्री राम!
Author - राजेश ज्वेल
👉इस लेख का मूल संस्करण पढने के लिए यहाँ पर क्लिक करके पढ़ सकते हैं 👈