बांग्ला भाषी अधीर रंजन चौधरी का हिंदी उच्चारण ठीक नहीं है। हिंदी व्याकरण और वर्तनी का दोष उनका स्वाभाविक दोष है। उनके मुंह से राष्ट्रपति को 'राष्ट्रपत्नी' कह देना उनकी हिंदी भाषा की उच्चारण सम्बन्धी त्रुटि ही अधिक लगती है। क्योंकि गलती महसूस होने पर उन्होंने तत्काल टीवी रिपोर्टर से यह कहा कि गलती से उनके मुंह से गलत शब्द उच्चारित हो गया है। कृपया इसे ब्रॉडकास्ट नहीं करें। उन्होंने यह भी कहा कि इसके लिये वे राष्ट्रपति से माफी मांगने जाएंगे, लेकिन पाखंडियों (बीजेपी) से कभी माफी नहीं मांगेंगे।
इस समूचे विवादास्पद प्रसंग को बीजेपी ने जानबूझकर हथिया लिया है। क्योंकि संसद में विपक्ष के निरन्तर विरोध के कारणों - महंगाई, बेरोजगारी, जीएसटी पर लिये गये गलत फैसले और अवैध तथा नकली शराब से गुजरात मे हुई मौतों जैसे मुद्दों से वह देश का ध्यान भटकना चाहती है। अपने इस उद्देश्य की पूर्ति के लिये उसने अपनी सबसे असभ्य और वाचाल महिला को आगे कर दिया है।
जहां तक अधीर रंजन चौधरी का सवाल है, उन्हें लोकसभा में नेता बना कर कांग्रेस पहले ही गलती कर चुकी है। अधीर रंजन चौधरी पहले भी विवादास्पद बयान देते रहे हैं। प.बंगाल के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस की दुर्गति के भी खलनायक वही हैं। कांग्रेस का ममता बैनर्जी से समझौता उन्होंने ही नहीं होने दिया था। अतः कांग्रेस को अवसर मिला है कि इस विवादास्पद प्रसंग के बाद उन्हें नेता पद से हटा दिया जाए। लोकसभा में कांग्रेस के पास मनीष तिवारी और शशि थरूर जैसे अनुभवी और सुलझे हुए नेता हैं जिनमें से किसी को नेता बनाया जाना चाहिये।
अधीर रंजन चौधरी हमेशा उत्तेजना में आकर कुछ ऐसा बोल जाते हैं जिससे विवाद पैदा हो जाता है। एक बांग्ला भाषी की हिंदी में कही गयी किसी बात पर जबान फिसल जाना एक सामान्य बात है, जिसे बीजेपी सिर्फ भावी चुनावों की दृष्टि से मुद्दा बना रही है। प्रधानमंत्री स्वयं एक सार्वजनिक कार्यक्रम में "बेटी बचाओ : बेटी पढ़ाओ" को "बेटी बचाओ : बेटी पटाओ" कह चुके हैं। क्या वह देश की समस्त बेटियों का अपमान नहीं था? क्या प्रधानमंत्री सभी मर्यादाओं से ऊपर हैं? क्या उन्होंने जबान फिसलने पर खेद व्यक्त किया था? क्या तब इस बात को मीडिया ने बतंगड़ बनाया था?
स्मृति ईरानी ने लोकसभा में जिस तरह का अभद्र और असभ्य आचरण किया है उससे यह तो प्रमाणित हो गया कि वे एक अच्छी अभिनेत्री अवश्य हैं, जो गलती से राजनीति में आ गयी हैं
जिस तरह अतीत में प्रधानमंत्री की जबान फिसली थी उसी तरह अधीर रंजन चौधरी की भी जबान फिसल गयी। इसे बेवजह मुद्दा बनाया जा रहा है क्योंकि, बीजेपी इसे भावनात्मक मुद्दा बना कर गुजरात, मध्यप्रदेश और राजस्थान के आगामी विधानसभा चुनावों में आदिवासी वोटों को भरमाना चाहती है। अब संसद में बाकी सभी मुद्दे अदृश्य हो जाएंगे और अधीर रंजन चौधरी तथा सोनिया गांधी के विरुद्ध विशेषाधिकार हनन के प्रस्ताव लाकर उन पर बेवजह बहस करायी जायेगी तथा तांडव होगा।
वर्तमान समय हमारी संसदीय लोकतांत्रिक प्रणाली के लिये दुर्दिनों से कम नहीं है। लोकसभा में कल बीजेपी की असभ्य और अशिष्ट मंत्री स्मृति ईरानी ने जिस तरह देश की सम्मानित बुजुर्ग सांसद और कांग्रेस पार्टी की वरिष्ठ नेता सोनियाजी को, जिन्होंने स्वेच्छा से प्रधानमंत्री पद का त्याग किया था, इस प्रसंग में घसीटा और उन पर काल्पनिक आरोप लगाए कि अधीर रंजन चौधरी को उन्होंने ही विवादास्पद शब्द बोलने के लिये आदेश दिया था, यह जानबूझकर सोची-समझी गयी साजिश ही अधिक लगती है और इसका उद्देश्य सोनियाजी को अपमानित करने के अलावा क्या हो सकता है?
गोआ में स्मृति ईरानी की बेटी के अवैध रेस्टोरेंट-बार की आबकारी विभाग द्वारा जांच की जा रही है। स्मृति ईरानी की बेटी पर यह आरोप है कि उन्होंने एक मरे हुए व्यक्ति के नाम से बार का लाइसेंस ले लिया है, जिसकी मई 2021 में मौत हो चुकी है। जबकि बार का लाइसेंस उसकी मौत के एक साल बाद जून 2022 में लिया गया है। यही नहीं हिन्दुत्ववादी पार्टी की नेता और मंत्री स्मृति ईरानी की बेटी अपने रेस्टोरेंट-बार में बीफ और पोर्क भी सर्व कर रही है जो कि गोआ में एक सामान्य बात है।
लेकिन यह बीजेपी जैसी हिन्दुत्ववादी पार्टी, जो गाय को माता मानती है, के लिये यह बहुत ही लज्जाजनक बात है कि उसी की एक नेता की बेटी अपने रेस्टोरेंट में गाय के मांस की डिश परोस रही है। कांग्रेस पार्टी ने इस मुद्दे को बहुत जोर-शोर से उठाया था और इस पर प्रेसवार्ता भी की थी। इससे भड़क कर स्मृति ईरानी ने कांग्रेस के मीडिया सेल के प्रमुख सांसद जयराम रमेश और राष्ट्रीय प्रवक्ता पवन खेड़ा को मानहानि के नोटिस भी दिये हैं।
आश्चर्य तो इस बात का है कि इसके लिये भी उन्होंने सोनिया गांधी को जिम्मेदार क्यों नहीं ठहराया था?
अपनी माँ की उम्र की 75 वर्ष की एक बुजुर्ग महिला सोनियाजी पर स्मृति ईरानी का इस प्रकार भड़कने तथा उन्हें अपमानित करने की एक बड़ी वजह पृष्टभूमि में गोआ प्रसंग भी अवश्य शामिल है। कुछ भी हो, स्मृति ईरानी ने लोकसभा में जिस तरह का अभद्र और असभ्य आचरण किया है उससे यह तो प्रमाणित हो गया कि वे एक अच्छी अभिनेत्री अवश्य हैं, जो गलती से राजनीति में आ गयी हैं। ऐसे ही व्यक्तियों ने राजनीति को 'गटर नीति' बना दिया है।
लेखक/संकलक - Praveen Malhotra