राहुल: भारत का भविष्य, साहस की आवाज़

 जब मैं राहुल गांधी को सुनता हूँ, तो उनके शब्दों में इंदिरा गांधी, जवाहरलाल नेहरू, महात्मा गांधी, राममनोहर लोहिया, जयप्रकाश नारायण, कार्ल मार्क्स, लेनिन और नेल्सन मंडेला की आवाज़ों की गूंज सुनाई देती है। लोहिया ने कहा था, “जिंदा कौमें पाँच साल इंतज़ार नहीं करतीं।” राहुल गांधी की आँखों में मैं उस इंतज़ार के खिलाफ एक अनथक संघर्ष देखता हूँ, जो बार-बार अन्याय और अधीरता को चुनौती देता है।

जब मैं राहुल गांधी को देखता हूँ, तो कांग्रेस का ढाँचा मेरे मन से ओझल हो जाता है। लोग कहते थे, “इंदिरा ही कांग्रेस है।” लेकिन मुझे लगता है कि राहुल गांधी केवल कांग्रेस नहीं हैं; वे चाहते हैं कि कांग्रेस उनके आदर्शों, उनके साहस और उनकी दृष्टि को अपनाए। राहुल गांधी भविष्य हैं। राहुल गांधी ही राजनीति की नई परिभाषा हैं। वे इस देश की आकांक्षाओं और अभिव्यक्ति का प्रतीक हैं।

राहुल गांधी सफेद कुर्ता पहने हुए माइक के सामने भाषण देते हुए, एक हाथ से इशारा करते हुए, हरे रंग की पृष्ठभूमि में
राहुल गांधी की बुलंद आवाज़: भारत के भविष्य को दिशा देता एक साहसी नेता

मैं स्पष्ट कहता हूँ: कांग्रेस में कई खामियाँ हैं। संगठन में चुनौतियाँ हैं, आंतरिक विरोध हैं, षड्यंत्र और प्रतिक्रियाएँ हैं। लेकिन कांग्रेस के पास एक ऐसी ताकत है, जो किसी अन्य राजनीतिक दल के पास नहीं—राहुल गांधी।

राहुल गांधी एक असाधारण व्यक्तित्व हैं। बीच चुनाव में, जब हर बयान जीत-हार का फैसला करता हो, उन्होंने कमलनाथ जैसे दिग्गज की खामियों को बेनकाब कर दिया। कौन कर सकता है ऐसा साहस? कौन है जो अपनी ही सरकार के खिलाफ प्रेस कॉन्फ्रेंस करे? कौन है जो कानून के मसौदे को सार्वजनिक रूप से फाड़ दे? कोई एक नाम बताइए। क्या नरेंद्र मोदी? क्या नीतीश कुमार? इस महान लोकतंत्र के महान नेताओं, जवाब दीजिए!

कांग्रेसी चाहते हैं कि राहुल गांधी देश के प्रधानमंत्री बनें। मैं भी यह चाहता हूँ। लेकिन मेरे मन में एक विश्वास है कि प्रधानमंत्री का पद राहुल के लिए छोटा है, बहुत छोटा। उनमें मैं गांधी को अधिक देखता हूँ—एक विचार, एक आदर्श, एक प्रेरणा।

यदि मुझमें इतना साहस हो, तो मैं राहुल गांधी से कहूँगा: “प्रधानमंत्री का पद स्वीकार न करें। इस देश के युवाओं को बताएँ कि आपने इस देश को कितना जाना है। नई पीढ़ी के नेताओं को तैयार करें। नए शक्ति केंद्रों की नींव रखें। अपने सपनों का भारत कैसा है, यह दुनिया को दिखाएँ। बताएँ कि इस देश को और बेहतर कैसे बनाया जा सकता है।”

युवाओं से मेरा आग्रह है: राहुल गांधी के पास बैठें, उनकी आँखों से हिंदुस्तान को देखें। उनकी दृष्टि में भारत की आत्मा झलकती है। उनके शब्दों में एक मंत्र गूंजता है:

“मैं किसी से डरता नहीं हूँ।
मैं डरता नहीं हूँ।
नहीं डरता मैं।
डरो मत, डरो मत, मत डरो!” Author - आवेश तिवारी

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