पुतिन का एग्रेसन और हिटलर का प्रतिबिम्ब !

क्या रूसी राष्ट्रपति ब्लादिमीर पुतिन हिटलर बनने की राह पर है..?

रूसी राष्ट्रपति ब्लादिमीर पुतिन


बेशक, रूसी राष्ट्रपति ब्लादिमीर पुतिन की कार्यप्रणाली, व्यवहार की शैली हिटलर सरीखी ही है।

रूस व यूक्रेन के बीच ताजा विवाद भी पुतिन की तानाशाही अहं की पुष्टि करती है।

भले ही देशहित के नाम पर तर्क दिए जा रहे हों। जैसा कि हर तानाशाह करता है।

ताजा विवाद यही की रूस के बगल के देश यूक्रेन जो 1991 में रूस के विखंडन के बाद बना नया राष्ट्र है। अब NATO में शामिल होना चाहता है। नाटो अमेरिका व यूरोप के 30 देशों की एक समूह है। जिसके अपने अनुबंध हैं। नाटो देश के किसी। एक देश पर हमला सम्पूर्ण नाटो देश पर हमला माना जाता है, और सभी मिलकर  सैन्य कार्रवाही करते हैं। 

रूस का यूक्रेन के संग 100 साल से विवाद है। यूक्रेन व रूस का कभी पूर्ण सामंजस्य नहीं रहा है। यूक्रेन पहले भी रूस से आजाद हो गया था। किंतु मात्र 3 साल बाद पुनः रूस में शामिल हुआ।

अपने बगल में रूस सरीखा महाशक्ति देश से सशंकित यूक्रेन खुद की सुरक्षा के लिए नाटो में शामिल होना चाहता है।

किन्तु रूस ये पसन्द नहीं करता। रूस चाहता है कि यूक्रेन उसका पिछलग्गू बना रहे। हाल ही में यूक्रेन में रूस समर्थित राष्ट्रपति हटाये जाने पर भी रूस बौखलाया है।

रूस व यूक्रेन सीमा सर्वाधिक खतरनाक सीमा मानी जाती है। कभी भी युद्ध,,,,,।

सवाल पुतिन के हिटलर अर्थात तानाशाही चरित्र की है। उसकी कार्यप्रणाली व शैली तानाशाही है।

सर्वप्रथम उसने अपने आपको जबरन 2036 तक के लिए रूसी राष्ट्रपति के रूप में स्थापित कर लिया है। जो कि हर तानाशाह की पहली गतिविधि होती है। यानी लोकतांत्रिक व्यवस्था को किनारे लगा दिया जाना।

फिर मीडिया के माध्यम से खुद को बाहुबली, शक्तिशाली नेता साबित करने की प्रयास।

बयानों में तल्खी,,,,,।

और अब यूक्रेन संग युद्ध को तत्पर,,,।

एक संप्रभुता प्राप्त राष्ट्र यूक्रेन पर अपनी मर्जी थोपना बिल्कुल तानाशाही,,,,,।

ताजी खबर है कि रूस ने चिढ़कर यूक्रेन के 2 राज्यों को अलग देश का दर्जा दे दिया है। मसला है ये कथित देश की स्थिति आगे क्या होगी ?

हर तानाशाह अपनी असफलता के लिए देश में अराजकता तैयार करता है।

बगल के देश पर हमले  युद्ध की प्रयास करता है। 

कुछ नस्ली व धार्मिक नफरत भी तैयार की जाती है।

ऐसा ही हिटलर ने,,,,

सद्दाम हुसैन ने कुवैत पर आक्रमण ,,,,,

ये किमजोंग हों का वर्तमान चीनी राष्ट्रपति शी पिंग भी इसी श्रेणी के हैं।

अब बात यूक्रेन की, जिस देश में भारत के 20 हजार से ज्यादा बच्चे डॉक्टरी की कोर्स सामान्य सहज जीवन यापन करते हुए कर रहे हों। ये तो तय है कि यूक्रेन की कानून व्यवस्था बेहतर है और कोई नस्ली या धार्मिक भेदभाव नहीं है।

अगर रूस यूक्रेन के बीच युद्ध होता है तो भारत के 20 हजार बच्चों के भविष्य व जीवन पर ग्रहण लग जायेगा।

ये सच है कि हमारा देश 60% से अधिक हथियार रूस से ही खरीदते हैं। किंतु एक तानाशाह के अराजकता की शर्त पर देश के नागरिकों का जीवन व भविष्य दांव पर नहीं लगा सकते।

इस बीच अपने देश में नफरती संघियों ने धार्मिक नफरत का खेल शुरू कर दिया है। आज व्हाट्सएप पर एक संदेश प्रसारित हो रहा था। जिसमें ब्लादिमीर पुतिन का भाषण बताया जा रहा है। और उस भाषण में खुलेआम मुसलमानों के विरोध धमकी दर्ज थी।  संघी भी खेलने लगे हैं। यूँ तो अपने देश में भी तानाशाही प्रवृति के अनुरूप माहौल तैयार हो चुके है।

- हेमंत ठाकुर 

this is an image of writer hemant thakur who wrote this article







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