क्या सवाल पूछना अपराध है हिंदुस्तान में?

 राहुल गांधी का सवाल और बीजेपी की बौखलाहट

राहुल गांधी जैसे ही आक्रामक हुए, वैसे ही भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) की आईटी सेल ने व्हाट्सएप और फेसबुक पर हमला बोल दिया। वे जानते हैं कि उनके पास जवाब नहीं है। जवाब न हो तो प्रत्याक्रमण करके विमर्श की दिशा बदली जा सकती है—यह बीजेपी का पुराना हथियार है, जिसे उसने बार-बार आजमाया है। जब जयशंकर के बयान पर राहुल गांधी ने सवाल उठाए, तो बीजेपी के थिंक टैंक जवाब नहीं दे पाए। जवाब देते भी तो क्या देते?

नफरत का एजेंडा और शर्मनाक अध्याय

फिर क्या? नफरत के एजेंडे को आगे बढ़ाया गया। कई बार एक्सपोज हो चुकी बीजेपी ने अपने षड्यंत्रकारी आईटी सेल के प्रमुख अमित मालवीय को आगे किया। जो हुआ, वो हिंदुस्तान की राजनीति का सबसे शर्मनाक अध्याय है। जिसकी दादी ने देश के लिए बलिदान दिया, जिसके पिता बम का शिकार हुए, जिसका पूरा खानदान आजादी के इतिहास में त्याग और बलिदान की कहानी कहता है—उस राहुल गांधी पर कीचड़ उछाला गया। विपक्ष के नेता के तौर पर राहुल ने इस तथाकथित भारत-पाक युद्ध में गंभीरता और धैर्य दिखाया। पूरे विपक्ष ने संवेदनशीलता के साथ सेना और सत्ता का समर्थन किया। लेकिन बीजेपी अपनी षड्यंत्रकारी औकात पर आ गई।

बीजेपी की राजनीति: राष्ट्रवाद का ढोंग

बीजेपी कहती है कि यह राजनीति का समय नहीं है। माना, लेकिन फिर आप क्या कर रहे हैं? गली-गली, गाँव-गाँव तिरंगा यात्रा निकाल रहे हैं। 59 सांसदों का प्रतिनिधिमंडल विदेश भेजकर भारत का पक्ष रखने के नाम पर राजनीति कर रहे हैं। संसद नहीं बुलाते, सही बात नहीं बताते, आपका मीडिया अनर्गल प्रचार करता है। आपकी आईटी सेल झूठ फैलाती है। अंतरराष्ट्रीय मीडिया कुछ और कहता है, पाकिस्तान का मीडिया कुछ और, सेना बयानों से बचती है। बॉर्डर खोल दिए गए, रिट्रीट सेरेमनी हो रही है, आप चुनाव की तैयारी में जुटे हैं। आपके प्रतिनिधि सेना का अपमान कर रहे हैं। अमेरिका के राष्ट्रपति के रोज़ के बयान हिंदुस्तान को परेशान कर रहे हैं। और आप? किसी 500 करोड़ की गर्लफ्रेंड के बॉयफ्रेंड को पटाने में लगे हैं। रोम जल रहा है, और नीरो बंसी बजा रहा है!

राष्ट्रवाद का तूफान: बीजेपी की हार

देश समझने लगा है। आपकी आत्ममुग्ध छवि इस तथाकथित युद्ध के बाद धूमिल हो गई है। आप और आपकी सेना अब किस मनोबल की बात कर रहे हैं? हिंदू-मुस्लिम का आपका एजेंडा ध्वस्त हो गया। राजनीतिक फायदे के लिए राष्ट्रवाद का तूफान पैदा करना चाहते थे, लेकिन उसमें असफल हो गए। राष्ट्रवाद तो जगा, लेकिन अब वह आपके फायदे के लिए काम नहीं कर रहा। अगर राहुल गांधी पूछते हैं कि कितने विमान गिरे, तो इससे कौन सा मनोबल टूट जाएगा? सत्य क्या छुपाया जा सकेगा?

राफेल का सच: भ्रष्टाचार का पर्दाफाश

दरअसल, कहानी कुछ और है। राफेल का नाम आते ही बीजेपी बौखला जाती है, जैसे कुत्ते की पूँछ पर पाँव रख दिया हो। आप यह सच छुपाना चाहते हैं कि राफेल इस युद्ध में ध्वस्त हुए, जैसा अंतरराष्ट्रीय मीडिया कह रहा है। जैसे ही यह खबर पुष्ट होगी, राफेल के भ्रष्टाचार का नया विमर्श शुरू हो जाएगा। कांग्रेस सरकार ने जो राफेल सौदा किया था, उसमें फ्रांस से तकनीक हस्तांतरण की स्वीकृति थी। लेकिन आपकी सरकार ने नया सौदा किया—तीन गुना ज्यादा पैसा दिया और तकनीक भी नहीं ली। यह सिर्फ भ्रष्टाचार नहीं, देश की सुरक्षा और सैनिकों की जान से खिलवाड़ है।

जयशंकर का बयान: सच्चाई कौन जानता है?

सूत्रों के अनुसार, जब विदेश मामलों की समिति में जयशंकर के बयान का ज़िक्र हुआ, तो विदेश सचिव विपिन मिस्त्री ने कहा कि जयशंकर के बयान को गलत संदर्भ में पेश किया गया। हमने पाकिस्तान को आक्रमण के बाद सूचना दी थी। लेकिन राहुल गांधी ने जो वीडियो ट्वीट किया, उसमें जयशंकर साफ कह रहे हैं कि युद्ध शुरू होने से पहले ही पाकिस्तान को सूचना दी गई थी। सच्चाई तो सरकार, सेना, या भगवान जानता है!

बीजेपी की हताशा: सच्चाई सामने

बीजेपी की आईटी सेल की आक्रामकता से एक बात साफ है—दाल में कुछ काला है। राहुल गांधी ने एक बार फिर पर्दे के पीछे उनके चेहरे को बेनकाब कर दिया। जाते-जाते यह पंक्ति याद आती है:

“सच्चाई छुप नहीं सकती बनावट के फूलों से, और खुशबू आ नहीं सकती झूठे उसूलों से।”
जब आदमी झल्लाहट में होता है, जब उसके पास तर्क नहीं होते, तो वह गाली-गलौज करता है, सामने वाले को अपमानित करता है, और पलायनवादी रवैया अपनाता है। क्या बीजेपी की आईटी सेल के सारे कारनामे इसी किरदार के इर्द-गिर्द घूम रहे हैं? आप अपनी राय दे सकते हैं।

Author - प्रमोद जैनपिंटू

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