भारत जोड़ो यात्रा: हिंदी बेल्ट को क्यों छोड़ दिया?

गलत रास्ते का चयन: हिंदी बेल्ट की अनदेखी

राहुल गांधी को भारत जोड़ो यात्रा हिंदी बेल्ट में करनी चाहिए थी। नॉर्थ-ईस्ट को दरकिनार कर साउथ इंडिया से शुरू करते हुए, जम्मू-कश्मीर तक का उनका रास्ता केवल इतना फायदा देगा कि जहाँ अभी बीजेपी नहीं है, वहाँ उसके आने की संभावना और कम हो जाएगी। अपनी जगह में मुश्किल काम भी आसान हो जाता है। राहुल गांधी ने 12 राज्यों को कवर किया—तमिलनाडु, केरल, कर्नाटक, तेलंगाना, आंध्र प्रदेश, महाराष्ट्र, राजस्थान, मध्य प्रदेश, उत्तर प्रदेश, हरियाणा, दिल्ली, पंजाब, चंडीगढ़ और जम्मू-कश्मीर। लेकिन हिंदी बेल्ट के कई अहम राज्य जैसे बिहार, झारखंड, ओडिशा गायब हैं। हिमाचल प्रदेश और गुजरात, जहाँ इसी साल चुनाव होने हैं, उन्हें भी छोड़ दिया गया।
सीधी बात है—राहुल गांधी मुश्किल में भी आसानी ढूंढ रहे हैं। यह रास्ता ठीक वैसा है जैसे रॉयल एनफील्ड वाले एडवेंचर के लिए साउथ से नॉर्थ तक अपनी बाइक से कवर करते हैं।

राहुल गांधी की भारत जोड़ो यात्रा का प्रतीकात्मक चित्रण: दक्षिण से जम्मू-कश्मीर तक एक सड़क पर कदमों के निशान, हिंदी बेल्ट को दर्शाने वाली गाय और आडवाणी की रथ यात्रा का प्रतीक रथ
राहुल गांधी की भारत जोड़ो यात्रा: हिंदी बेल्ट से गायब कदमों की कहानी

आडवाणी की रथ यात्रा: एक रणनीतिक मिसाल

आडवाणी की रथ यात्रा को याद कीजिए। उन्होंने अपना रास्ता सोच-समझकर चुना था—गुजरात से शुरू होकर महाराष्ट्र, आंध्र प्रदेश, मध्य प्रदेश, राजस्थान, दिल्ली, बिहार, और उत्तर प्रदेश तक। उस वक्त गुजरात में चिमनभाई पटेल की जनता दल सरकार थी, महाराष्ट्र और आंध्र प्रदेश में कांग्रेस, मध्य प्रदेश में सुंदरलाल पटवा की पहली बीजेपी सरकार, राजस्थान में भैरों सिंह शेखावत की बीजेपी सरकार, दिल्ली में राष्ट्रपति शासन, उत्तर प्रदेश में मुलायम सिंह यादव की जनता दल सरकार, और बिहार में लालू प्रसाद यादव की जनता दल सरकार थी।
आप अंदाज़ा लगा सकते हैं कि यह यात्रा कितनी मुश्किल थी। लालू प्रसाद यादव ने समस्तीपुर में आडवाणी को गिरफ्तार कर लिया ताकि सांप्रदायिक माहौल न बिगड़े। अगर किसी और नेता ने यात्रा के शुरुआती चरण में ही आडवाणी को रोक दिया होता, तो आज का भारत बहुत अलग होता। आडवाणी ने वो रास्ता चुना जिससे वो बहुमत के करीब पहुँच सकें। राम के नाम पर उन्होंने हिंदी बेल्ट के लोगों के जेहन से खेला, और विपक्षी दलों को सही जगह चोट मारी।

राहुल गांधी का रास्ता: रणनीति की कमी

राहुल गांधी ने कौन सा मार्ग चुना? साउथ से नॉर्थ तक एक लकीर खींचते हुए वो 12 राज्यों से गुजरे, लेकिन हिंदी बेल्ट के कई अहम राज्य छूट गए। बिहार, झारखंड, ओडिशा, और उत्तर प्रदेश जैसे राज्य, जो आडवाणी की रथ यात्रा का मुख्य हिस्सा थे, राहुल की यात्रा में शामिल नहीं हैं। हिमाचल प्रदेश और गुजरात को भी नजरअंदाज कर दिया गया।
राहुल को यह यात्रा गुजरात से शुरू करनी चाहिए थी, फिर महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश, राजस्थान, पंजाब, हिमाचल प्रदेश, हरियाणा, दिल्ली, उत्तर प्रदेश, बिहार, झारखंड को कवर करते हुए बंगाल में खत्म करनी चाहिए थी। ऐसा करने से इसका प्रभाव भारतीय राजनीति में राहुल गांधी को सम्मान के साथ इतिहास में दर्ज कर देता।

Author - Joher

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