यूक्रेन-रशिया युद्ध समाप्ति के बाद गोदी-मीडिया द्वारा क्या नंगा नाच किया जाएगा ?

एक भविष्यवाणी है.. प्लीज नोट करें।

....भाई लोग खुश हो रहे थे कि "महामानव" में वाकई दम है।

यूक्रेन रशिया युद्ध शुरू होने में न भारत की कोई भूमिका है और न खत्म होने में होगी लेकिन किसी न किसी मोड़ पर तो खत्म होगा ही और जब खत्म होगा तो मीडिया उसका सीधा क्रेडिट महामानव को देगी और अंतर्राष्ट्रीय मीडिया से दूर रहने वाला, जियोपाॅलिटिक्स की समझ से महरूम, इस गोदी मीडिया और व्हाट्सअप पर मिलने वाली सूचनाओं पर आश्रित एक बड़ा वर्ग उन क्रेडिट पर आंख बंद करके यकीन करेगा और महामानव की मटियामेट होती इमेज को इस आपदा में मिले अवसर से भी फुटेज लेने का सुनहरा मौका हाथ आयेगा, जिसे महामानव अगामी चुनावों में यूज करेगा, जिसकी एडवांस किश्तें यूपी के बचे हुए तीन चरणों में मीडिया डिलीवर करना शुरू कर चुका है।

कल एक जगह गया था जहां तमाम लोग मौजूद थे, टीवी पर खबरें चल रही थीं कि कैसे यूक्रेन ने महामानव को एक ताकतवर प्रधान मानते रूस से बात करने और युद्ध रुकवाने की अपील की... भाई लोग खुश हो रहे थे कि महामानव में वाकई दम है। मजे की बात यह है कि यह सारे लोग परसों साईकिल को वोट दे के आये थे। मीडिया ने एक झटके से उनकी सोचने की दिशा बदल दी। अब ऐसी हालत में अगर लोकसभा चुनाव होता और आज वोट पड़ने होते तो पक्का वे कमल ही दबाते। 2019 चुनाव में एन यही हुआ था... यह है मीडिया की ताकत और आम लोगों की समझ।

....उन्हें यह समझने की फुर्सत नहीं कि जो नेता इतना ताकतवर है कि युद्ध रोक सके, वह यूक्रेन में फंसे अपने ही बीस हजार छात्रों को नहीं निकाल पाया...

उन्हें यह समझने की फुर्सत नहीं कि जो नेता इतना ताकतवर है कि युद्ध रोक सके, वह यूक्रेन में फंसे अपने ही बीस हजार छात्रों को नहीं निकाल पाया और हाल यह है कि दूतावास वाले उनके फोन तक नहीं उठा रहे, बच्चों के पास इस मजबूत कही जाने वाली सरकार से मिलने वाली एक उम्मीद नहीं, जबकि अतीत में ईराक युद्ध के दौरान पौने दो लाख लोगों को रेस्क्यू इसी देश ने किया था। ऐसा क्यों है, न यह समझने की काबिलियत है और न जानने की इच्छा कि रूस के सामने यूक्रेन की हैसियत भारत के सामने श्रीलंका जैसी ही है तो जहां-जहां भी यूक्रेन के दूतावास होंगे, वहां उनके एम्बेसेडर एक सामान्य राजनयिक व्यवहार के तहत उन देशों के राष्ट्राध्यक्षों से मदद मांग रहे होंगे। कहीं और यह खबर खास नहीं है लेकिन भारत में ब्रेकिंग न्यूज़ के रूप में मोटी मोटी हेडलाइन बनने वाली खबर है कि यूक्रेन ने मांगी भारत से मदद।

तो ठीक इसी तरह जब भी और जिस भी कारण से रूस यूक्रेन पर कहर बरसाना बंद करेगा, यहां मीडिया उसके लिये महामानव को क्रेडिट देते, उसकी इमेज में हवा भरना शुरू कर देगा। जिसका फायदा आगे उठाया जायेगा... आप आम भारतीय को जिओ पाॅलिटिक्स, वर्तमान परिदृश्य में महामानव की औकात और एक देश के रूप में भारत के स्टैंड को नहीं समझा सकते। समझेंगे वे वही जो मीडिया और व्हाट्सअप यूनिवर्सिटी में समझाया जायेगा। और आम भारतीय का मतलब अनपढ़, कम पढ़े लिखे या गैर समझदार लोग ही नहीं बल्कि अच्छे खासे पढ़े लिखे और समझदार लोग भी हैं।

-अशफाक़ अहमद 

Archive - 

एक टिप्पणी भेजें

और नया पुराने